Telangana Politics K Chandrasekhar Rao Bharat Rashtra Samiti Family Drama KT Ram Rao K Kavitha Battle

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BRS Family Drama: तेलंगाना में भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) में अंदरूनी कलह खुलकर सामने आ गई है. एक तरफ जहां बीआरएस अपनी सिल्वर जुबली मना रही है तो वहीं दूसरी तरफ पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष केटी रामा राव (केटीआर) और उनकी बहन के. कविता के बीच उत्तराधिकार की जंग छिड़ी हुई है. ये सब ऐसे वक्त पर हो रहा है जब पूर्व मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव की पार्टी कई मुद्दों से जूझ रही है, जिसमें विधायकों का दल बदलकर कांग्रेस में शामिल होना भी शामिल हैं. इसके लिए पार्टी कानूनी लड़ाई भी लड़ रही है.

टाइम्स ऑफ इंडिया ने सूत्रों के हवाले से अपनी एक रिपोर्ट में बताया है कि नेता के रूप में उभरने से ज्यादा पारिवारिक झगड़ा इस बात को लेकर है कि पार्टी पर किसका कंट्रोल होगा और किसका हिस्सा होगा. राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि उत्तराधिकार की लड़ाई आम तौर पर तब शुरू होती है जब पार्टी सुप्रीमो पिक्चर से बाहर हो जाते हैं. हालांकि, बीआरएस के मामले में सत्ता की लड़ाई तब शुरू हुई जब के. चंद्रशेखर राव अभी भी पिक्चर में हैं.

दो खेमों में बंटे केसीआर के रिश्तेदार

पार्टी के भीतर केसीआर के रिश्तेदार पहले ही खेमों में बंट चुके हैं और उनमें से कुछ केटीआर तो कुछ कविता का समर्थन कर रहे हैं. दोनों के बीच दरार तब साफ हो गई जब पूर्व लोकसभा सांसद और मौजूदा एमएलसी कविता ने वारंगल के एल्काथुर्थी में बीआरएस रजत जयंती सार्वजनिक बैठक में केसीआर के भाषण के संबंध में उन्हें एक फीडबैक लेटर लिखा.

इस चिट्ठी में उन्होंने केसीआर के भाषण में बीजेपी को निशाना न बनाने, पिछड़ा वर्ग आरक्षण के मुद्दे को संबोधित न करने, बीआरएस नेताओं तक पहुंच की कमी और अन्य चिंताओं के बारे में लिखा और गहरी चिंता व्यक्त की. इन दोनों के बीच मतभेद एक साल से भी पहले उभरे थे और पिछले कुछ महीनों में और बढ़ गए हैं.

क्यों बढ़ गए केटीआर और कविता के बीच मतभेद?

एक तरफ जहां केटीआर ने कार्यकारी अध्यक्ष के रूप में पार्टी मामलों को संभाला तो कविता को कोई बड़ी जिम्मेदारी नहीं सौंपी गई और उन्हें निजामाबाद जिले तक ही सीमित रखा गया. यहां तक ​​कि विधान परिषद में भी कविता को दरकिनार करते हुए पूर्व स्पीकर मधुसूदन चारी को पर्टी नेता नियुक्त किया गया.

गुरुवार को मीडिया को संबोधित करते हुए कविता ने कहा कि उन्होंने 2006 से ही पार्टी में अपना पसीना और पैसा लगाया है और गर्भवती होने के बावजूद भी तेलंगाना आंदोलन में सक्रिय रूप से भाग लिया और अपनी ओर से स्थापित संगठन तेलंगाना जागृति के तहत कार्यक्रम किए. उनकी टिप्पणियों से संकेत मिलता है कि वह रातों-रात नेता नहीं बन गईं और न ही उन्होंने पदों पर कब्जा किया, बल्कि पार्टी के मामलों में उनकी भूमिका होनी चाहिए.

के. कविता के करीबियों का क्या कहना है?

पिछले एक साल से दरकिनार की जा रहीं कविता के करीबियों का कहना कि उन्हें एक साल से अधिक समय से दरकिनार किया गया है. प्रासंगिक बने रहने के लिए उन्होंने तेलंगाना जागृति के बैनर तले स्वतंत्र रूप से कार्यक्रम शुरू किए, जिसमें बीआरएस के झंडे और नेताओं की तस्वीरें शामिल नहीं थीं. वह पिछड़ी जातियों के लिए आरक्षण को बढ़ाकर 42% करने, जाति सर्वेक्षण और राज्य विधानसभा परिसर में ज्योतिराव फुले की प्रतिमा स्थापित करने के लिए कार्यक्रम आयोजित कर रही हैं. कविता को लगता है कि उन्हें जानबूझकर दरकिनार किया गया, यहां तक ​​कि दूसरे दर्जे के नेताओं ने भी उनकी अनदेखी की.

कविता के एक करीबी सहयोगी ने बताया, “जब कविता ने कामारेड्डी और बांसवाड़ा में पिछड़ी जातियों के लिए आरक्षण और जाति सर्वेक्षण के मुद्दों पर गोलमेज चर्चा की, तो स्थानीय बीआरएस नेताओं में से कोई भी नहीं आया. इसी तरह, जब उन्होंने मंथनी, पेड्डापल्ली और रामागुंडम में एक कार्यक्रम आयोजित किया तो कोप्पुला ईश्वर और पुट्टा मधु जैसे पूर्व मंत्री और पूर्व बीआरएस विधायक इसमें शामिल नहीं हुए.”

के. कविता किस बात हैं नाराज?

कविता कथित तौर पर केटीआर सहित पार्टी नेताओं से नाराज हैं, जिन्होंने सोशल मीडिया पर एक अभियान के दौरान चुप्पी साधी, जिसमें कहा गया था कि वह बीआरएस छोड़कर कांग्रेस में शामिल हो सकती हैं. एमएलसी ने कहा कि कोई भी नेता अफवाहों का खंडन या निंदा करने के लिए आगे नहीं आया. हालांकि, जब वरिष्ठ नेता हरीश राव के बारे में ऐसी ही अफवाहें सामने आईं तो पार्टी नेताओं ने न केवल इसकी निंदा की, बल्कि पुलिस में शिकायत भी दर्ज कराई.

ये खबर फैलते ही केटीआर हरीश राव के घर पहुंचे और पार्टी नेताओं के साथ कई बैठकें कीं. केटीआर और हरीश राव ने अपने मतभेद सुलझा लिए और साथ मिलकर काम करने का फैसला किया है. हालांकि कविता के मामले में उनके भाई केटीआर ने ऐसा कोई प्रयास नहीं किया.

तीन दिन पहले बीआरएस नेता एमपी दामोदर राव और पार्टी लीगल सेल के संयोजक गांद्र मोहन राव ने कविता से मुलाकात की थी, लेकिन बातचीत का कोई सकारात्मक नतीजा नहीं निकला. बीआरएस में असमंजस बढ़ने के साथ ही पार्टी नेता अब केसीआर की प्रतिक्रिया का इंतजार कर रहे हैं. केटीआर इस मुद्दे पर चुप हैं, वहीं कविता ने गुरुवार को अपना रुख साफ करते हुए कहा कि वो राजनीति में बनी रहेंगी.

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