Supreme Court quashes PIL filed against Rahul Gandhi Remarks over Veer Savarkar ann | सावरकर के अपमान के खिलाफ जनहित याचिका सुप्रीम कोर्ट ने नहीं सुनी, कहा
राहुल गांधी की तरफ से वीर सावरकर के अपमान के खिलाफ जनहित याचिका को सुनने से सुप्रीम कोर्ट ने मना किया है. कोर्ट की अवकाशकालीन बेंच ने कहा कि मामले में किसी के मौलिक अधिकार प्रभावित नहीं हो रहे हैं. इसे अनुच्छेद 32 के तहत सीधे सुप्रीम कोर्ट में नहीं सुना जा सकता. याचिकाकर्ता का कहना था कि स्वतंत्रता संग्राम से जुड़े व्यक्तियों और प्रतीकों का सम्मान करना नागरिकों का मौलिक कर्तव्य है, लेकिन लोकसभा में नेता विपक्ष ऐसा नहीं कर रहे हैं.
कोर्ट राहुल गांधी को दे चुका है चेतावनी
ध्यान रहे कि 25 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट की ही एक दूसरी बेंच ने राहुल गांधी को सावरकर के बारे में गैरजिम्मेदाराना बयान न देने की चेतावनी दी थी. जस्टिस दीपांकर दत्ता की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा था कि राहुल ने ऐसे बयान दिए तो सुप्रीम कोर्ट उस पर संज्ञान लेकर कार्रवाई करेगा, जबकि मंगलवार को चीफ जस्टिस भूषण रामाकृष्ण गवई की अध्यक्षता वाली बेंच ने सुनवाई से मना किया.
दोनों मामलों में अंतर
दोनों मामलों में अंतर यह है कि अप्रैल में जिस मामले की सुनवाई हुई थी, वह लखनऊ की कोर्ट में लंबित एक केस से जुड़ा था, लेकिन मंगलवार को जो याचिका सुनवाई के लिए लगी, वह सीधे सुप्रीम कोर्ट में दाखिल हुई थी. जजों का कहना था कि अनुच्छेद 32 की याचिका मौलिक अधिकारों के संरक्षण के लिए होती है, लेकिन यह मामला मौलिक अधिकारों से जुड़ा नहीं है.
नई याचिका में क्या कहा गया था?
अभिनव भारत कांग्रेस नाम की संस्था से जुड़े याचिकाकर्ता पंकज फड़नीस का कहना था कि उन्होंने विनायक दामोदर सावरकर पर कई वर्षों तक रिसर्च की है. फड़नीस की मांग थी कि उन्हें सावरकर के बारे में सभी तथ्यों को रखने का मौका दिया जाए. याचिकाकर्ता ने यह मांग भी की थी कि कोर्ट केंद्र सरकार को सावरकर को राष्ट्रीय प्रतीक की लिस्ट में शामिल करने का निर्देश दे. सावरकर के अपमान के लिए जो मानहानि याचिकाएं राहुल गांधी के खिलाफ दाखिल हुई हैं, उनमें दोषी पाए जाने पर उन्हें सावरकर स्मारक में कम्युनिटी सर्विस करने की सजा दी जाए.
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