Supreme Court order Karnataka Government to give 3011 Crore Rupees TDR To Royal Family Kapil Sibal challenges verdict to CJI BR Gavai Bench | ‘रॉयल फैमिली को देने होंगे 3011 करोड़ु रुपये के TDR’, कर्नाटक सरकार ने 4 दिन बाद ही SC के आदेश को दे दी चुनौती तो CJI ने सिब्बल से पूछा

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सुप्रीम कोर्ट ने कर्नाटक सरकार की उस याचिका पर मंगलवार (27 मई, 2025) को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करने पर सहमति व्यक्त की जिसमें बैंगलोर पैलेस ग्राउंड्स की 15 एकड़ जमीन के अधिग्रहण के संबंध में पूर्ववर्ती मैसूर रॉयल फैमिली के कानूनी उत्तराधिकारियों को हस्तांतरणीय विकास अधिकार (TDR) प्रमाणपत्र जारी करने के निर्देश को चुनौती दी गई है.

शुरू में मुख्य न्यायाधीश भूषण रामाकृष्ण गवई (CJI BR Gavai) और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने राज्य सरकार की ओर से पेश हुए सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल से पूछा कि उनकी बेंच किसी अन्य पीठ की ओर पारित आदेश की समीक्षा कैसे कर सकती है.

जस्टिस एम एम सुंदरेश और जस्टिस अरविंद कुमार की एक अन्य पीठ ने 22 मई को अवमानना ​​कार्यवाही में कर्नाटक सरकार को निर्देश दिया था कि वह राजपरिवार के उत्तराधिकारियों को 3,011 करोड़ रुपये मूल्य के टीडीआर प्रमाणपत्र जारी करे. हालांकि, वरिष्ठ अधिवक्ता ने कहा कि कर्नाटक नगर और ग्राम नियोजन अधिनियम में 2004 में संशोधन के माध्यम से पेश किया गया टीडीआर प्रावधान, बैंगलोर पैलेस (अधिग्रहण एवं हस्तांतरण) अधिनियम के तहत 1996 में अधिगृहीत भूमि पर पूर्वव्यापी रूप से लागू नहीं किया जा सकता.

उन्होंने कहा कि 15 एकड़ जमीन टीडीआर प्रावधान के अस्तित्व में आने से पहले अधिगृहीत की गई थी और मूल अधिनियम के तहत मुआवजा पहले ही तय किया जा चुका है. कपिल सिब्बल ने कहा, ‘यह अधिग्रहण 1996 के कानून के तहत हुआ था और 11 करोड़ रुपये का मुआवजा तय किया गया था. उस समय टीडीआर की अवधारणा मौजूद नहीं थी. धारा 14बी, जो टीडीआर की अनुमति देती है, सिर्फ 2004 में पेश की गई थी और यह केवल तभी लागू होती है जब भूमि मालिक स्वेच्छा से अपनी जमीन सौंपते हैं, न कि जब राज्य इसे अनिवार्य रूप से अधिगृहीत करता है.’

यह विवाद 1997 से शुरू हुआ जब राजपरिवार ने 1996 के अधिनियम की वैधता को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी और यह याचिका अब भी लंबित है. इस बीच, राज्य सरकार ने पैलेस ग्राउंड्स के एक हिस्से पर सड़क विकसित करने की बात कही, जिसके कारण कई मुकदमे शुरू हो गए और अंततः अवमानना ​​याचिकाएं दायर की गईं. कपिल सिब्बल ने अवमानना ​​के फैसले पर चिंता जताते हुए कहा कि पीठ धारा 14बी के तहत उनकी कानूनी आपत्तियों का समाधान करने में विफल रही. उन्होंने कहा, ‘आप अंतिम निर्णय में संशोधन नहीं कर सकते या अवमानना ​​कार्यवाही के माध्यम से नए अधिकार नहीं जोड़ सकते.’

पीठ ने सवाल किया कि क्या मौजूदा पीठ समन्वय पीठ की ओर से पारित आदेश के खिलाफ अपील पर विचार कर सकती है. कपिल सिब्बल ने स्पष्ट किया कि राज्य सरकार पहले के आदेश को पलटने का आग्रह नहीं कर रही है, बल्कि केवल यह सुनिश्चित करना चाहती है कि लंबित अपील के ढांचे के भीतर उसकी कानूनी चिंताओं का उचित ढंग से समाधान किया जाए. टीडीआर प्रमाणपत्र भूमि अधिग्रहण में इस्तेमाल की जाने वाली एक प्रणाली है, जिसका उपयोग भूमि मालिकों को तब मुआवजा देने के लिए किया जाता है, जब उनकी संपत्ति सड़क चौड़ीकरण या बुनियादी ढांचे के विकास जैसी सार्वजनिक परियोजनाओं के लिए ली जाती है. 

 

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CONGRESS,Supreme Court,Legal News,Karnataka,Kapil SIbal

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