RSS Sunil Ambedkar said During Emergency many RSS workers were tortured in jail 100 volunteers died
Sunil Ambekar On Emergency: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) नेता सुनील आंबेकर ने इमरजेंसी को लेकर कांग्रेस पर जमकर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि 25 जून 1975 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा लगाई गई इमरजेंसी के दौरान आरएसएस के प्रमुख पदाधिकारियों समेत हजारों स्वयंसेवकों को जेल में डाल दिया गया था और हिरासत में कई प्रकार की यातनाएं दी गई थीं.
न्यूज़ एजेंसी पीटीआई से बात करते हुए आरएसएस के राष्ट्रीय प्रचार एवं मीडिया विभाग के प्रमुख ने कहा कि इस अवधि में कम से कम 100 संघ कार्यकर्ताओं की मौत हुई. इनमें से कुछ की मौत जेल में हुई जबकि अन्य की मौत बाहर हुई. हमारे पांडुरंग क्षीरसागर (तत्कालीन संघ की अखिल भारतीय प्रबंध समिति के प्रमुख) उन लोगों में से एक थे, जिनकी जेल में अत्यधिक यातना के कारण मौत हो गई.
RSS नेता ने इमरजेंसी को करार दिया काला धब्बा
सुनील आंबेकर ने कांग्रेस सरकार के आपातकाल लगाए जाने को भारत की लोकतांत्रिक परंपराओं पर एक काला धब्बा करार दिया और कहा कि देश में तानाशाही के उन 21 महीनों को कभी नहीं भुलाया जा सकता.
आरएसएस नेता ने कहा कि इमरजेंसी के दौरान सरकार का समर्थन न करने पर कई आरएसएस कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया गया और पीटा गया. उन्होंने आगे कहा कि जेल में कई आरएसएस कार्यकर्ताओं पर थर्ड डिग्री टॉर्चर किया गया.
भारत में ज्यादा दिन नहीं चली तानाशाही: आंबेकर
उन्होंने कहा कि आरएसएस कार्यकर्ताओं को टॉर्चर कर उनसे संघ के उन नेताओं के नाम जानने की कोशिश की गई, जो देश भर में इंदिरा गांधी सरकार द्वारा लगाई गई इमरजेंसी का विरोध कर रहे थे. देश में लगातार जारी जनांदोलन के कारण आखिरकार तानाशाही का अंत हुआ और देश में लोकतंत्र की स्थापना हुई.
RSS नेता ने कहा कि भारत में आजादी के केवल 25 साल बाद ही तानाशाही आई थी. ये बात भी समझना जरूरी है कि दुनिया में जहां-जहां भी तानाशाही आई वो लंबे समय तक चली, हालांकि भारत में ऐसा बिल्कुल भी नहीं हुआ. उस समय स्वयंसेवकों ने आंदोलन किए. इस दौरान जेल जाना पड़ा और कई तरह की प्रताड़नाएं झेलनी पड़ी.
उन्होंने कहा कि आपातकाल के दौरान उस समय के संघ प्रमुख बालासाहेब देवरस को नागपुर स्टेशन से गिरफ्तार कर लिया गया था. उस समय संघ के लगभग 1,300 प्रचारक थे, जिनमें से 180 प्रचारकों को गिरफ्तार किया गया था. इस कारण कई प्रचारकों को उस समय भेष बदलकर रहना पड़ा.
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