padmanabhaswamy temple performs Rare Grand Consecration maha kumbhabhishekam after 270 years

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Maha Kumbhabhishekam in Sree Padmanabhaswamy Temple: केरल के तिरुवनंतपुरम स्थित प्रसिद्ध श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर में 270 वर्षों के बाद रविवार (8 जून, 2025) को दुलर्भ ‘महाकुंभाभिषेकम’ का आयोजन किया गया. इसमें सैकड़ों की संख्या में श्रद्धालु शामिल हुए. यह भव्य अनुष्ठान इस प्राचीन मंदिर में लंबे समय से लंबित नवीनीकरण कार्य के हाल ही में पूरा होने के बाद हुआ.

मंदिर के सूत्रों ने कहा कि सुबह में ‘तजिकाकुडम्स’ (गर्भगृह के ऊपर तीन शिखर) का समर्पण, विश्वक्सेन विग्रह की पुनः स्थापना और तिरुवम्बडी श्री कृष्ण मंदिर (मुख्य मंदिर परिसर में स्थित) में ‘अष्टबंध कलशम’ स्थापना से जुड़े अनुष्ठान किए गए. उन्होंने कहा, ‘‘रविवार (8 जून) की सुबह 7.40 से 8.40 बजे के बीच शुभ मुहूर्त में पुजारियों ने अनुष्ठान संपन्न कराया.’’

त्रावणकोर राजपरिवार की ओर से पूजा के बाद शुरू हुआ अनुष्ठान

सूत्रों के मुताबिक, त्रावणकोर राजपरिवार के वर्तमान प्रमुख मूलम थिरुनल राम वर्मा की ओर से मंदिर में पूजा-अर्चना करने के बाद अनुष्ठान शुरू हुआ. उन्होंने कहा कि वर्मा और राजपरिवार के अन्य सदस्यों की उपस्थिति में, तंत्री (मुख्य पुजारी) ने सबसे पहले तिरुवम्बडी मंदिर में ‘अष्टबंध कलशम’ का अनुष्ठान किया.

मंदिर के सूत्रों के मुताबिक, बाद में सुबह आठ बजे विश्वक्सेना (भगवान विष्णु के एक स्वरूप) के विग्रह की पुनः स्थापना की गई. उन्होंने कहा कि विश्वक्सेन के विग्रह का जीर्णोद्धार कर पुनः स्थापित किया गया है. यह प्रतिमा लगभग 300 वर्ष पुरानी है और इसका निर्माण ‘कटु सरकार योगम’ पद्धति से किया गया था, जो मूर्तियों के निर्माण के लिए सामग्री के एक अद्वितीय संयोजन से बनी पारंपरिक पद्धति है.

श्रद्धालुओं को दुर्लभ अनुष्ठान के दर्शन कराने के लिए की गई थी व्यवस्थाएं

सूत्रों ने कहा कि विश्वक्सेन के विग्रह की पुनः स्थापना के बाद, तंत्री और अन्य पुजारी, राजपरिवार के मुखिया के साथ, शिखरों को देवताओं को समर्पित करने के लिए जुलूस के रूप में आगे बढ़े और इस दौरान उपस्थित भक्तों ने नारायण मंत्रों का जाप किया. मंदिर प्राधिकारियों ने श्रद्धालुओं को इस दुर्लभ अनुष्ठान की झलक दिखाने के लिए मंदिर के सभी चार प्रवेश द्वारों पर बड़े-बड़े स्क्रीन लगाए थे. इस अनुष्ठान का साक्षी बनने के लिए सुबह से ही श्रद्धालुओं की लंबी कतार मंदिर के प्रवेश द्वारों पर दिखने को मिली.

केरल के राज्यपाल भी अनुष्ठान के दौरान मंदिर में रहे मौजूद

सूत्रों ने कहा, केरल के राज्यपाल विश्वनाथ राजेंद्र आर्लेकर इस दुर्लभ अनुष्ठान का साक्षी बनने के लिए मंदिर में मौजूद थे. उन्होंने कहा कि महाकुंभाभिषेकम से पहले गत एक सप्ताह से अलग-अलग दिनों में मंदिर में आचार्य वरणम, प्रसाद शुद्धि, धारा, कलशम और सहित अन्य अनुष्ठान किए गए. मंदिर प्राधिकारियों ने कहा कि महाकुंभाभिषेक का उद्देश्य आध्यात्मिक ऊर्जा को सुदृढ़ करना और मंदिर की पवित्रता को पुनः जागृत करना है.

उन्होंने कहा, “सदियों पुराने इस मंदिर में 270 वर्षों के अंतराल के बाद इस तरह का व्यापक जीर्णोद्धार और उससे संबंधित अनुष्ठान आयोजित किए गए और अगले कई दशकों में ऐसा दोबारा होने की संभावना नहीं है.”

प्राधिकारियों ने कहा, “जीर्णोद्धार का काम 2017 में सुप्रीम कोर्ट की ओर से नियुक्त विशेषज्ञ समिति के निर्देशानुसार किया गया था. हालांकि, जीर्णोद्धार का कार्य जल्द ही शुरू हो गया था, लेकिन कोविड महामारी की वजह से इसमें देरी हुई.” उन्होंने कहा कि बाद में 2021 से चरणबद्ध तरीके से विभिन्न नवीनीकरण कार्य पूरे किए गए.

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