NCB OPERATION MED MAX ran from Delhi to US drugs were also being used in Europe and Australia ann | दिल्ली से अमेरिका तक चला OPERATION
OPERATION MED MAX: नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (NCB) ने बड़े इंटरनेशनल ड्रग सिंडिकेट को पकड़ने में कामयाबी हासिल की है. NCB ने इस ऑपरेशन का नाम OPERATION- MED MAX रखा था. ये नेटवर्क नई टेक्नोलॉजी, क्रिप्टो करेंसी और इंटरनेशनल ड्रॉप शिपिंग का इस्तेमाल करके 4 महाद्वीपों एशिया, यूरोप, अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया में गैरकानूनी दवाइयों की सप्लाई करता था.
NCB की ये कार्रवाई एक इंटरनेशनल नेटवर्क के खिलाफ सबसे बड़ी रेड मानी जा रही है. इसमें भारत के साथ-साथ अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और यूरोप की कई देशों की एजेंसियों ने मिलकर काम किया. 25 मई 2025 को दिल्ली के मंडी हाउस के पास NCB की टीम ने एक कार को रोककर चेक किया. कार में बैठे दो लड़के नोएडा की एक प्राइवेट यूनिवर्सिटी से B. Pharma किए हुए थे. उनके पास से 3.7 किलो Tramadol टैबलेट्स मिलीं, जो एक तरह की कंट्रोल्ड मेडिसिन मानी जाती है.
अमेरिका, यूरोप और ऑस्ट्रेलिया में बेचते थे दवाइयां
पूछताछ में सामने आया कि ये लोग एक इंडियन B2B वेबसाइट पर अपनी प्रोफाइल बनाकर अमेरिका, यूरोप और ऑस्ट्रेलिया में दवाइयां बेचते थे. इनके नेटवर्क का एक स्टॉकिस्ट रुड़की में था, फिर एक साथी मयूर विहार से पकड़ा गया. उसके जरिए कर्नाटक के उडुपी में बैठे शख्स तक जांच पहुंची, जो USA को भेजे जाने वाले बड़े ऑर्डर मैनेज करता था. NCB को जांच में 50 इंटरनेशनल कंसाइनमेंट्स की जानकारी मिली, जिनमें 29 पैकेज अमेरिका से अमेरिका भेजे गए थे, 18 पैकेज ऑस्ट्रेलिया के अंदर ही भेजे गए और 1-1 पैकेज एस्टोनिया, स्पेन और स्विट्जरलैंड भी भेजे गए.
NCB ने ली इंटरपोल की मदद
NCB ने ये जानकारी अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और इंटरपोल को दी. इसके बाद अमेरिका के अलबामा राज्य में DEA (ड्रग एन्फोर्समेंट एडमिनिस्ट्रेशन) ने जोएल हॉल नाम के एक बड़े रि-शिपर को पकड़ा. उसके पास 17 हजार से ज्यादा टैबलेट्स और कई क्रिप्टो वॉलेट्स बरामद किए गए. इसके साथ ही एक इंडियन-अमेरिकन शख्स को मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप में अमेरिका में चार्ज किया गया है. जांच में पता चला कि इस नेटवर्क से जुड़ी एक फेक दवा फैक्ट्री ऑस्ट्रेलिया में चल रही थी. ऑस्ट्रेलिया की पुलिस ने उस यूनिट को भी बंद कर दिया है.
इस पूरे नेटवर्क ने टेक्नोलॉजी का भरपूर फायदा उठाया. ये लोग सिर्फ Telegram जैसे एन्क्रिप्टेड ऐप्स पर बातचीत करते थे. पेमेंट के लिए क्रिप्टो करेंसी, PayPal और वेस्टर्न यूनियन का इस्तेमाल किया जाता था. जांच में सामने आया कि लॉजिस्टिक्स और पैकिंग का काम दिल्ली और जयपुर से दो और युवकों द्वारा संभाला जा रहा था. ये लोग कभी भारत में दवाइयां नहीं भेजते थे, सिर्फ बाहर के देशों में ही सप्लाई करते थे ताकि पकड़े न जाएं.
UAE में बैठा है इस पूरे सिंडिकेट का मास्टरमाइंड
NCB के मुताबिक इस पूरे सिंडिकेट का मास्टरमाइंड UAE में बैठा हुआ है, जो पूरे नेटवर्क को चला रहा था. ऑर्डर लेने से लेकर पेमेंट और सप्लाई तक. उसने B2B वेबसाइट पर प्रीमियम वेंडर बनकर खरीदारों को आकर्षित किया और उडुपी में एक कॉल सेंटर तक बना रखा था, जिसमें 10 लोग काम करते थे. ऑर्डर मिलने के बाद क्रिप्टो में पेमेंट लिया जाता था. पेमेंट से कटौती करके सप्लायर और शिपर को पैसे भेजे जाते थे.
NCB की जांच जारी
NCB की मानें तो अब तक 8 लोगों की गिरफ्तारी हो चुकी है. क्रिप्टो वॉलेट्स, हवाला चैनल्स और डिजिटल ट्रांजेक्शन की जांच जारी है. NCB ने कई प्राइवेट वेबसाइट्स और प्लेटफॉर्म्स को अलर्ट किया है, जो ऑनलाइन फर्जी दवाइयों की बिक्री को बढ़ावा दे रही हैं. अधिकारियों का कहना है कि मामले की जांच अभी जारी है.
ये भी पढ़ें:
Source link
DELHI,NCB,OPERATION MED MAX, US, drugs, Europe, Australia,दिल्ली, अमेरिका, एनसीबी, यूरोप, ऑस्ट्रेलिया, ड्रग सिंडिकेट, ड्रग्स