mp expressed concern over cyber fraud investigation agencies and ministries described parliamentary committee
Parliamentary Committee Meeting on Cyber Fraud: विभिन्न दलों के सांसदों ने साइबर अपराध की घटनाओं, खासकर भोले-भाले लोगों को निशाना बनाकर की जाने वाली वित्तीय धोखाधड़ी पर गुरुवार (3 जुलाई) को चिंता जताई. केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) के निदेशक, राष्ट्रीय अन्वेषण एजेंसी (NIA) के महानिदेशक और विभिन्न मंत्रालयों के वरिष्ठ अधिकारी गुरुवार (3 जुलाई) को एक संसदीय समिति के समक्ष पेश हुए.
सूत्रों के मुताबिक, कुछ विपक्षी सांसदों ने ऐसे मामलों में कथित रूप से कम दोषसिद्धि दर पर चिंता जताई. इसके साथ ही सांसदों ने बैंकों से हजारों करोड़ रुपये की धोखाधड़ी करने के आरोपियों को विदेशी पनाहगाहों से वापस लाने में भारतीय एजेंसियों की कथित विफलता का मुद्दा भी उठाया.
BJP सांसद की अध्यक्षता वाली समिति ने की बैठकें
भारतीय जनता पार्टी (BJP) के सांसद राधामोहन दास अग्रवाल की अध्यक्षता वाली गृह मामलों की स्थायी समिति ने बुधवार (2 जुलाई) और गुरुवार (3 जुलाई) को ‘साइबर अपराध-परिणाम, संरक्षण और रोकथाम’ पर लगभग दिनभर बैठकें कीं.
वित्तीय सेवा विभाग, बैंकों, दूरसंचार विभाग, भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण, इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय, विदेश मंत्रालय, कॉर्पोरेट मामले और वित्तीय खुफिया इकाई-भारत (FIU-IND) के अलावा संघीय जांच एजेंसियों के प्रतिनिधि भी समिति के समक्ष पेश हुए.
जांच एजेंसियों ने मामलों पर की कार्रवाई के बारे में बताया
एक सदस्य ने कहा, ‘विभिन्न दलों के सांसदों ने इस मुद्दे पर गंभीर चिंता जताई. जांच एजेंसियों ने जहां अपनी कार्रवाई पर प्रकाश डाला, वहीं सांसदों ने कई सुझाव दिए.’ कुछ सांसदों ने साइबर धोखाधड़ी, खासकर ‘डिजिटल अरेस्ट’ की घटनाओं में वृद्धि पर प्रकाश डाला. सरकार ने इस साल मार्च में संसद को बताया था कि देश में ‘डिजिटल अरेस्ट’ घोटाले और संबंधित साइबर अपराधों के मामले 2022 से 2024 के बीच लगभग तीन गुना बढ़ गए. सरकार ने यह भी बताया था कि उक्त अवधि में धोखाधड़ी की रकम में 21 गुना वृद्धि दर्ज की गई.
दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों में नौकरी के इच्छुक भारतीयों की तस्करी का भी उठा मामला
सूत्रों के मुताबिक, बैठक में दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों में नौकरी के इच्छुक भारतीयों की तस्करी का मुद्दा भी उठाया गया, जहां उन्हें साइबर अपराध गिरोहों के लिए काम करने को मजबूर किया जाता है. कुछ सांसदों ने जांच एजेंसियों के बीच बेहतर समन्वय का आह्वान करते हुए कहा कि इनमें से कई एजेंसियां साइबर अपराधों से निपटती हैं, जिनमें खुफिया जानकारी जुटाने से लेकर मामलों की जांच तक शामिल है.
सांसद ने RTI के हवाला से दी जानकारी
सूत्रों के मुताबिक, एक अन्य सांसद ने हाल ही में सूचना का अधिकार (RTI) अधिनियम के तहत दाखिल आवेदन पर मिले जवाब का हवाला दिया, जिसमें कहा गया है कि चार वर्षों में मुंबई के साइबर पुलिस थानों ने 2,000 से अधिक आपराधिक मामले दर्ज किए हैं, लेकिन इस अवधि के दौरान केवल दो मामलों में ही दोषसिद्धि हुई.
सूत्रों के अनुसार, एक जांच एजेंसी ने कहा कि उसने इन अपराधों के पीड़ित लोगों से ठगी गई धनराशि प्राप्त करने और उसे वैध बनाने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले लाखों खातों को फ्रीज कर दिया है, साथ ही अन्य देशों से सहयोग बढ़ाने के प्रयास तेज कर दिए हैं, क्योंकि इन आपराधिक गिरोहों की जड़ें अक्सर भारत के बाहर होती हैं.
कुछ सांसदों ने जागरूकता बढ़ाने के लिए प्रयास करने का आह्वान किया. एक सदस्य ने हेल्पलाइन नंबर 1930 से संबंधित समस्याओं को उठाया, जिसे साइबर वित्तीय धोखाधड़ी की शिकायत करने के लिए शुरू किया गया था.
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