India US Trade Deal Decision on Donald Trumps reciprocal tariffs Delhi May get mini deal offer
India-US Trade Deal: भारत और अमेरिका के बीच व्यापार को लेकर एक अहम मोड़ पर बातचीत पहुंच चुकी है. CNBC-TV18 की एक रिपोर्ट के मुताबिक, दोनों देशों के बीच एक मिनी व्यापार समझौते पर अगले 24 से 48 घंटों में अंतिम फैसला हो सकता है. यह समझौता ऐसे समय में हो रहा है जब अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा घोषित अतिरिक्त टैरिफ (ट्रंप टैरिफ) की 90 दिनों की रोक की समयसीमा समाप्त होने वाली है. ऐसे में यह डील भारत के लिए राहत का सबब बन सकती है.
मिनी डील के संभावित बिंदु और टैरिफ दरें
रिपोर्ट के अनुसार, इस मिनी डील के तहत औसत आयात टैरिफ करीब 10 प्रतिशत के आसपास रहेगा. भारत से निर्यात किए जाने वाले कुछ श्रम-प्रधान उत्पादों पर कम टैरिफ लगाकर वार्षिक कोटा तय किए जाने की योजना है. इसके अलावा भारत, अमेरिका के कुछ कृषि उत्पादों जैसे पेकन नट्स और ब्लूबेरी पर कम कर दरें देने पर सहमत हो सकता है. यह सीमित समझौता व्यापक द्विपक्षीय व्यापार समझौते (BTA) से पहले का एक कदम माना जा रहा है, जिसकी बातचीत 9 जुलाई के बाद शुरू होने की संभावना है.
ट्रंप टैरिफ की टाइमलाइन: शुरुआत से अब तक
2 अप्रैल
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अधिकतर आयातों पर 10% बेसिक टैरिफ लगाने की घोषणा की. उन्होंने इस दिन को लिबरेशन डे बताया और कहा कि 9 अप्रैल से उन देशों पर 26-27% तक के जवाबी टैरिफ लगाए जाएंगे, जो अमेरिका के अनुसार अनुचित व्यापार बाधाएं खड़ी कर रहे हैं. भारत भी इसमें शामिल था.
5 अप्रैल
ट्रंप के पहले दौर के टैरिफ प्रभावी हो गए. भारत ने त्वरित प्रतिक्रिया देते हुए अमेरिका के साथ बातचीत शुरू की और कुछ वस्तुओं जैसे हार्ले डेविडसन मोटरसाइकिल, व्हिस्की, नेटवर्किंग और आईटी हार्डवेयर पर टैरिफ कम करने की पेशकश की. साथ ही डेयरी और कृषि जैसे क्षेत्रों की सुरक्षा की मांग रखी गई.
भारत और अमेरिका के बीच वार्ता की एक औपचारिक संरचना यानी ‘Terms of Reference’ पर सहमति बनी. इसमें टैरिफ कम करना, बाज़ार पहुंच, डिजिटल वस्तुएं शामिल थीं. प्रवासन और बौद्धिक संपदा अधिकार (Intellectual Property Rights) जैसे विषयों को इस वार्ता से अलग रखा गया. भारत ने PLI (उत्पादन आधारित प्रोत्साहन) योजना के तहत कुछ रणनीतिक आयातों पर शून्य टैरिफ देने की पेशकश की और “फॉरवर्ड MFN” (Most Favoured Nation) शर्त भी जोड़ी, जिसके तहत यदि भारत भविष्य में किसी और देश को बेहतर व्यापार शर्त देता है, तो अमेरिका को भी वही लाभ मिलेगा.
9 अप्रैल
ट्रंप ने 90 दिनों के लिए उच्च टैरिफों को लागू करने पर अस्थायी रोक की घोषणा की. इस निर्णय से भारत समेत कई देशों को राहत मिली.
20 और 23 मई
भारत के वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने वॉशिंगटन डीसी में अमेरिकी अधिकारियों से मुलाकात की. लक्ष्य था कि जुलाई की शुरुआत तक इस मिनी डील को अंतिम रूप दिया जा सके ताकि संभावित 26-27% टैरिफ से बचा जा सके. भारत ने अमेरिकी कृषि और औद्योगिक उत्पादों पर सीमित छूट की पेशकश की, लेकिन डेयरी और गेहूं जैसे घरेलू रूप से संवेदनशील उत्पादों को बाहर रखा. इस पर ट्रंप ने भारत की “कुछ वस्तुओं पर जाीरो टैरिफ की पहल की सराहना की. इस घोषणा के बाद भारतीय शेयर बाजार में सकारात्मक प्रतिक्रिया दिखी और सेंसेक्स 1300 अंकों से अधिक उछल गया.
जून में तेजी आई, लेकिन कुछ तकनीकी मुद्दे बाकी
जून में भारत और अमेरिका के बीच अंतिम दौर की बातचीत शुरू हुई. दोनों पक्षों ने कानूनी मसौदों का आदान-प्रदान किया. उत्पत्ति के नियम, प्रमाणन, अनुपालन, विवाद समाधान जैसे तकनीकी बिंदुओं पर अंतिम सहमति बननी बाकी रह गई थी. अमेरिकी अधिकारियों का कहना था कि डील “90% तैयार” है, लेकिन अंतिम मुहर के लिए कुछ बिंदुओं पर सहमति जरूरी है.
1 जुलाई से डील पर नए संकेत और बढ़ा भरोसा
विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा कि यह समझौता “दोनों पक्षों के देने और लेने” की भावना पर आधारित होगा. भारत ने दोहराया कि वह डेयरी और चावल जैसे उत्पादों को डील से बाहर रखेगा, जबकि अमेरिका अधिक कृषि उत्पादों के लिए बाजार पहुंच चाहता रहा.
6 जुलाई और 7 जुलाई
6 जुलाई को ट्रंप ने टैरिफ लागू करने की अंतिम तारीख को 1 अगस्त तक बढ़ा दिया. उन्होंने भारत के प्रयासों की सराहना की, लेकिन बाकी देशों को सख्त चेतावनी भी दी. 7 जुलाई को अमेरिकी कोष सचिव बिसेंट ने कहा कि डील “बहुत नज़दीक” है. इस खबर से वित्तीय बाजारों में स्थिरता आई और निवेशकों में उम्मीदें बढ़ीं.
इसी दिन ट्रंप ने घोषणा की कि वह पहले दौर के टैरिफ पत्र विभिन्न देशों को भेजेंगे, जिसमें व्यापार समझौते भी शामिल होंगे. ये पत्र 1 अगस्त से लागू नई टैरिफ दरों को लेकर होंगे. ट्रंप ने यह भी कहा कि BRICS जैसे गुटों से जुड़ने वाले देशों पर 10% अतिरिक्त टैरिफ लगेगा, जिसमें भारत, ब्राज़ील, रूस और चीन जैसे देश शामिल हैं.
अब भारत की निगाहें मिनी डील पर, BRICS सदस्यता बनी चुनौती
भारत के लिए अब यह मिनी व्यापार समझौता ट्रंप टैरिफ से बचने का सबसे बड़ा रास्ता बन गया है. हालांकि BRICS जैसे गुट में सक्रिय भागीदारी के कारण अतिरिक्त टैरिफ की धमकी भी एक नई चुनौती बनकर सामने आई है. ऐसे में भारत को जहां घरेलू हितों की रक्षा करनी है, वहीं वैश्विक रणनीतिक साझेदारियों को भी संतुलित रखना है.
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