Gandiva Missile: | Gandiva missile developed by DRDO is taking India air power to new heights Know its features characteristics

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भारत के रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) ने हाल ही में जो, नया हथियार विकसित किया है, वह न केवल तकनीकी दृष्टि से बल्कि रणनीतिक महत्व के लिहाज से भी बेहद महत्वपूर्ण है. इस मिसाइल का नाम गांडीव रखा गया है, जो महाभारत के महान धनुर्धर अर्जुन के धनुष का नाम था.

गांडीव मिसाइल भारत को 21वीं सदी के हवाई युद्ध में नई ऊंचाइयां दिलाने वाली है. यह केवल एक मिसाइल नहीं, बल्कि भारत की हवाई सुरक्षा में एक क्रांतिकारी कदम है. इसकी रेंज, गति और शक्ति इसे चीन और अमेरिका जैसी महाशक्तियों की मिसाइलों से भी आगे ले जाती है. विशेष रूप से इसकी ‘बियॉन्ड विजुअल रेंज’ (BVR) क्षमता भारत को वह सामर्थ्य देती है, जो अब तक केवल दुनिया के चुनिंदा देशों के पास थी.

गांडीव मिसाइल की तकनीकी विशेषताएं और रेंज
DRDO की तरफ से विकसित गांडीव मिसाइल की सबसे बड़ी खासियत इसकी अत्यधिक दूरी तक मार करने की क्षमता है. यह मिसाइल अस्त्र एमके-3 (Astra MK-3) प्रोजेक्ट के तहत विकसित की गई है, जो भारतीय वायु सेना (IAF) के लिए एक महत्वपूर्ण संपत्ति बन सकती है. इसका रेंज 340 किलोमीटर तक है. इसका इंजन डुअल-फ्यूल डक्टेड रैमजेट का है. ये दुश्मन के फाइटर जेट, बॉम्बर, मालवाहक और AWACS विमानों तक को निशाना बना सकती है. इसे 20 किलोमीटर से लॉन्च करने पर मारक क्षमता 340 किलोमीटर तक पहुंचती है. वहीं 8 किलोमीटर से लॉन्च करने पर 190 किलोमीटर क्षमता बढ़ा जाती है. यह रेंज चीन की PL-15 मिसाइल (300 किमी) और अमेरिका की AIM-174 BVRAAM (240 किमी) से भी अधिक है, जिससे भारत की हवाई सुरक्षा में महत्वपूर्ण बढ़त मिलती है.

डुअल-फ्यूल डक्टेड रैमजेट इंजन की भूमिका
गांडीव मिसाइल में लगाया गया डुअल-फ्यूल डक्टेड रैमजेट इंजन इसे अन्य मिसाइलों से अलग बनाता है. यह तकनीक इसे कम ईंधन में अधिक दूरी तय करने में सक्षम बनाती है. इसकी मदद से मिसाइल लंबी दूरी तक तेज गति से टारगेट को हिट कर सकती है. इसमें ईंधन की बचत होती है, जिसकी वजह से ये अधिक दूरी तय करती है. सबसे खास बात ये है कि ये अलग-अलग ऊंचाइयों और मिशनों के लिए उपयुक्त है. इसी वजह से गांडीव मिसाइल न केवल रक्षा के लिए बल्कि रणनीतिक हवाई नियंत्रण के लिए भी जरूरी बन जाती है.

अस्त्र Mk-1 और LCA Mk1A के साथ नई संभावनाएं
भारत ने 11 जुलाई को अस्त्र Mk-1 मिसाइल का सफल परीक्षण किया, जो कि बंगाल की खाड़ी में सुखोई-30MKI विमान से किया गया था. इस परीक्षण ने दिखाया कि भारत अब ‘बियॉन्ड विजुअल रेंज’ मिसाइल तकनीक में आत्मनिर्भर हो चुका है. अब LCA Mk1A, यानी स्वदेशी तेजस लड़ाकू विमान का बेहतर वर्जन, अस्त्र मिसाइल से लैस होकर भारत की हवाई शक्ति को और मजबूत कर सकता है. इससे भारत आत्मनिर्भर रक्षा नीति (Aatmanirbhar Bharat) में भी बड़ी उपलब्धि हासिल करता है.

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