Election Commission process of upgrade voter list Bihar Abhishek Manu Singhvi raised question
Bihar Election: बिहार की मतदाता सूची के अपडेशन के काम को लेकर लगातार राजनीति बढ़ती जा रही है. इसी सिलसिले में इंडिया गठबंधन से जुड़े हुए अलग-अलग राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों ने केंद्रीय चुनाव आयोग से मुलाकात की. बैठक के बाद विपक्षी नेताओं ने कहा कि चुनाव आयोग के साथ हुई बैठक सौहार्दपूर्ण माहौल में नहीं हुई और अगर इसी तरह से चुनाव आयोग की प्रक्रिया से मतदाताओं के नाम काटने का सिलसिला चलता रहा तो आने वाले दिनों में आंदोलन सड़क पर भी उतरेगा.
केंद्रीय चुनाव आयोग से मुलाकात के बाद कांग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि चुनाव आयोग के पास इस बात का जवाब नहीं था कि आखिर वोटर लिस्ट के अपडेशन और नवीनीकरण की प्रक्रिया चुनाव शुरू होने के 3-4 महीने पहले क्यों की गई. अगर चुनाव आयोग को यह प्रक्रिया करनी थी तो फिर पहले क्यों नहीं की गई.
प्रक्रिया के 3 से 4 महीने बाद ही चुनाव
अभिषेक मनु सिंघवी ने सवाल उठाया कि साल 2003 में जब इस तरह की प्रक्रिया हुई थी, तो विधानसभा चुनाव उसके 2 साल बाद होने थे, लेकिन यहां पर केंद्रीय चुनाव आयोग ने जब इस प्रक्रिया का ऐलान किया तो इसके तीन से चार महीने बाद ही विधानसभा चुनाव होने हैं.
सिंघवी ने कहा कि इस तरह से एक आम मतदाता को वोटर लिस्ट में अपना नाम जुड़वाने के लिए जिन कागजात की जरूरत पड़ेगी, वह मिलना इतना आसान भी नहीं है. ऐसे में इस प्रक्रिया के चलते करोड़ों मतदाता का नाम बिहार की नई मतदाता सूची से कट सकता है.
चुनाव आयोग के पास नहीं कोई जवाब
वहीं राजद सांसद मनोज झा ने कहा कि केंद्रीय चुनाव आयोग के साथ हुई. ये बैठक बिल्कुल भी सौहाद्रपूर्ण नहीं कहीं जा सकती, क्योंकि चुनाव आयोग के पास उनके सवालों का जवाब नहीं था, लेकिन फिर भी चुनाव आयोग इस प्रक्रिया को पूरी तरह से सही बताने की कवायद में लगा रहा.
22 सालों बाद अचानक हुआ ऐलान
आरजेडी सांसद मनोज झा ने कहा कि चुनाव आयोग ने जो प्रक्रिया पिछले 22 सालों से नहीं की, अचानक उसका ऐलान क्यों कर दिया गया और अगर यह प्रक्रिया करनी ही थी तो यह वक्त रहते क्यों नहीं की गई. मनोज झा ने तो यहां तक कह दिया कि जिस तरह से वोटर लिस्ट से बिहार के मतदाताओं का नाम काटने की साजिश चल रही है, आने वाले दिनों में यह सैलाब सड़कों पर भी नजर आएगा.
वहीं इंडिया गठबंधन के प्रतिनिधि मंडल से मुलाकात के बाद केंद्रीय चुनाव आयोग के सूत्रों की तरफ से मिली जानकारी के मुताबिक, ‘बिहार में विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) से संबंधित मुद्दों पर चर्चा करने के लिए आज विभिन्न राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों ने मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार, चुनाव आयुक्त डॉ. सुखबीर सिंह संधू और डॉ. विवेक जोशी के साथ ईसीआई, नई दिल्ली में चुनाव आयोग से मुलाकात की.’
1.5 लाख से अधिक बूथ लेवल एजेंट
चुनाव आयोग के सूत्रों के मुताबिक, कुछ प्रतिभागियों को अपॉइंटमेंट दिया गया और अन्य को बिना किसी पूर्व अपॉइंटमेंट के शामिल होने की अनुमति दी गई, क्योंकि आयोग ने सभी विचारों को सुनने के लिए प्रत्येक पार्टी के दो प्रतिनिधियों से मिलने का फैसला किया.
इस दौरान आयोग ने कहा कि एसआईआर अनुच्छेद 326, आरपी अधिनियम 1950 के प्रावधानों और 24 जून, 2025 को जारी निर्देशों के अनुसार आयोजित किया जा रहा है. आयोग ने एसआईआर अभ्यास में भाग लेने के लिए जमीनी स्तर पर 1.5 लाख से अधिक बूथ लेवल एजेंट (बीएलए) नियुक्त करने के लिए सभी राजनीतिक दलों को धन्यवाद दिया.
बिहार के करोड़ों वोटर से छिने जाएंगे हक
बिहार विधानसभा चुनाव से पहले वोटर लिस्ट के अपग्रेडेशन के काम पर जिस तरह से राजनीति शुरू हुई है, आने वाले दिनों में यह और ज्यादा मुखर होते हुए नजर आ सकता है, क्योंकि विपक्ष सीधे तौर पर केंद्रीय चुनाव आयोग को कटघरे में खड़ा कर रहा है और आरोप लगा रहा है कि इस पूरी प्रक्रिया के जरिए बिहार के करोड़ों मतदाताओं के नाम वोटर लिस्ट से काटने की साजिश रची जा रही है.
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