DRDO Bangalore lab: | India gained momentum in defense weapons technology after Operation Sindoor PM Modi Principal Secretary Dr PK Mishra reached DRDO Bangalore lab
DRDO Bangalore Lab: 2025 में ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत ने अपने रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता को सर्वोच्च प्राथमिकता दी है. केंद्र सरकार ने साफ कर दिया कि भारत अब सिर्फ अपने लिए हथियार नहीं बनाएगा, बल्कि उन्हें दुनियाभर में भी बेचेगा. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रधान सचिव डॉ. पी के मिश्रा के हालिया DRDO बेंगलुरु लैब दौरे से इस दिशा में गंभीरता और तेजी दोनों का संकेत मिलता है. इस लैब में मुख्य रूप से रडार और इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर तकनीक पर काम होता है.
केंद्र सरकार ने अब तक 400 से अधिक हथियार और उपकरणों को इंपोर्ट लिस्ट से हटा दिया है. इसका सीधा अर्थ है कि अब वे भारत में ही बनेंगे और सेना द्वारा उपयोग किए जाएंगे. डॉ. मिश्रा के दौरे के बाद जो प्रमुख प्रोजेक्ट्स सामने आए, वे भारत की रक्षा नीति को नई ऊंचाई तक ले जाने वाले हैं.
DRDO tweets, “Dr PK Mishra, Principal Secretary to the Prime Minister, visited LRDE, DRDO on 8th July. During the visit, he was briefed about the activities being carried out by various labs of DRDO at Bengaluru and their future plans. He appreciated the ongoing efforts and… pic.twitter.com/2VLA9FDLPe
— ANI (@ANI) July 14, 2025
हाइपरसोनिक हिटर्स BrahMos‑II मिसाइल
BrahMos‑II मिसाइल सिस्टम भारत का सबसे महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट है. इसकी रेंज 1500 किलोमीटर होगी और इसकी गति आवाज से आठ गुना तेज. इसे जमीन, समुद्र और हवा तीनों प्लेटफार्म से लॉन्च किया जा सकेगा. इसके साथ ही Long Range Anti-Ship Missile प्रोजेक्ट भी जारी है, जिसकी रेंज 1,000 किलोमीटर से अधिक होगी. इसे दुश्मन के युद्धपोतों को खत्म करने के लिए तैयार किया जा रहा है.
नेक्स्ट‑जेन एयर सुपीरियॉरिटी AMCA स्टेल्थ फाइटर
भारत का पहला पांचवीं पीढ़ी का स्टेल्थ फाइटर जेट AMCA, DRDO और HAL की तरफ से संयुक्त रूप से विकसित किया जा रहा है. इसकी पहली उड़ान 2026 तक और सीरियल प्रोडक्शन 2032–33 तक संभव है. इस फाइटर जेट में सुपरक्रूज क्षमता, स्टेल्थ तकनीक, इंटरनल वेपन बे और एडवांस एवियोनिक्स होंगे.
मल्टी-लेयर एयर डिफेंस सिस्टम Project Kusha
Project Kusha भारत के लिए बेहद महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट है. यह सिस्टम 150 से 400 किलोमीटर तक की रेंज में बैलिस्टिक मिसाइलों, क्रूज मिसाइलों, लड़ाकू विमानों और ड्रोन को इंटरसेप्ट कर सकता है. DRDO इसे S-400 जैसी क्षमताओं के साथ भारत में विकसित कर रहा है. इसका संचालन 2028 तक शुरू होने की उम्मीद है.
कंधे से दागे जाने वाला मिसाइल सिस्टम VSHORADS
यह स्वदेशी मिसाइल सिस्टम भारत में पहली बार इतने बड़े स्तर पर तैयार किया जा रहा है. इसकी रेंज लगभग 6 किलोमीटर है और इसमें एडवांस इंफ्रारेड सीकर लगाया गया है. सेना ने इसके 5,000 यूनिट की मांग की है, जो इसे भारत के डिफेंस एक्सपोर्ट प्रोडक्ट्स में शामिल कर सकता है.
स्मार्ट प्रिसिशन वेपन्स रुद्रम‑2 और रुद्रम‑3
रुद्रम‑2 और रुद्रम‑3 मिसाइलें दुश्मन के राडार, एयर डिफेंस सिस्टम और संचार केंद्रों को टारगेट करेंगी. रुद्रम‑2 की रेंज 250-300 किलोमीटर और रुद्रम‑3 की रेंज 550 किलोमीटर से अधिक होगी.
इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर में भारत की नई ताकत
CLAWs लेजर सिस्टम भारत की पहली Directed Energy Weapon सिस्टम होगी. इसका मकसद ड्रोन, माइक्रो मिसाइल, और मोर्टार जैसे खतरों को हवा में ही खत्म करना है.
DRDO के अटके हुए प्रोजेक्ट्स और उनकी चुनौतियां
भारत के कुछ प्रोजेक्ट्स में अब भी तकनीकी या प्रशासनिक पेंच फंसा हुआ है. इसमें कई तरह के चीजें शामिल है, जो इस प्रकार है.
- GTX‑35 कावेरी इंजन: AMCA के लिए इंजन अभी फ्रेंच Safran कंपनी के साथ वार्ता जारी है.
- AESAR रडार ‘उत्तम’: प्रोडक्शन क्षमता अभी 24 यूनिट/साल पर अटकी हुई है.
- लाइट टैंक जोरावर: इंजन आयात निर्भरता से लागत बढ़ रही है.
- AI आधारित टैंक (वारहॉक UAV): सेंसर-फ्यूजन सॉफ्टवेयर में देरी है.
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