CJI BR Gavai concerned Courts forgotten Legal Principles mentioned Manish Sisodia K Kavitha case Delhi Excise Policy Scam Case

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मुख्य न्यायाधीश भूषण रामकृष्ण गवई (CJI BR Gavai) ने चिंता जताते हुए कहा कि कुछ समय से अदालतें कानून के नियमों को भूल गई हैं. उन्होंने कहा कि ‘बेल नियम है और जेल अपवाद है’, इन कानूनी सिद्धातों को अदालतें अनदेखा कर रही हैं. उन्होंने दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया और भारत राष्ट्र समिति (BRS) नेता के. कविता के मामले का भी जिक्र किया, जिन्हें लंबे समय तक जेल में रहने के बाद पिछले साल बेल मिली थी और कोर्ट ने इसी सिद्धांत का हवाला देते हुए उन्हें जमानत दी थी.

सीजेआई गवई ने कोच्चि में एक कार्यक्रम में सुप्रीम कोर्ट के लेजेंडरी जज जस्टिस वीआर कृष्णा अय्यर के कार्यों पर बात की. इस दौरान उन्होंने कानून के नियमों की अनदेखी पर चिंता जताई.

बार एंड बेंच की रिपोर्ट के अनुसार सीजेआई गवई ने कहा कि उन्होंने प्रबीर पूरकायस्थ, मनीष सिसोदिया और के. कविता के मामले में इस सिद्धांत को दोहराने की कोशिश की थी. उन्होंने कहा, ‘जस्टिस कृष्णा अय्यर भी इस बात में विश्वास करते थे कि अंडरट्रायल्स को ट्रायल के बगैर लंबे समय तक जेल में नहीं रखना चाहिए. जस्टिस अय्यर को भारतीय न्यायपालिका में नई राह बनाने के लिए जाना जाता है और एक समय में उन्होंने बेल नियम है और जेल अपवाद है, पर जोर दिया था. कुछ सालों में इस सिद्धांत को कुछ हद तक भुला दिया गया है.’

जस्टिस गवई ने कहा कि वह खुश हैं कि पिछले साल प्रबीर पूरकायस्थ, मनीष सिसोदिया और के. कविता के मामले में इसे दोहराने का अवसर मिला. के. कविता और मनीष सिसोदिया को दिल्ली के आबकारी नीति घोटाला मामले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग केस में गिरफ्तार किया गया था. के. कविता पांच महीने बाद जमानत पर रिहा हुई थीं. वहीं, मनीष सिसोदिया को 17 महीने जेल में रहने के बाद बेल मिली थी. ये दोनों दिल्ली के शराब नीति घोटाला मामले में जेल में बंद थे. 

मामले में ट्रायल शुरू होने में देरी को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें ईडी और सीबीआई दोनों केस में जमानत दे दी थी. प्रबीर पूरकायस्थ को दिल्ली पुलिस ने अनलॉफुल एक्टिविटीज (प्रीवेंशन) एक्ट (UAPA) के तहत गिरफ्तार किया था. तीनों केस में जो बेंच सुनवाई कर रही थी, उसमें जस्टिस गवई भी शामिल थे. 

सीजेआई बी आर गवई ने जस्टिस वी आर कृष्ण अय्यर की ओर से मृत्युदंड के खिलाफ अपनाए गए कड़े रुख को भी याद किया. मुख्य न्यायाधीश ने जस्टिस अय्यर के उल्लेखनीय योगदान पर यहां एक स्मृति व्याख्यान देते हुए जनहित के मुद्दे उठाने वाले एक वकील से लेकर एक मंत्री और एक न्यायाधीश तक, विभिन्न स्तरों पर उनकी भूमिका को याद किया.

जस्टिस गवई ने अपने संबोधन में कहा कि जस्टिस अय्यर गरीबों और वंचितों के हितों के लिए खड़े रहे और वे आजीवन मानवाधिकारों के समर्थक, सामाजिक न्याय के योद्धा और नागरिक स्वतंत्रता के पक्षधर रहे. उन्होंने कहा कि जीवन के अधिकार और सामाजिक-आर्थिक अधिकारों के बीच संबंध पर जस्टिस अय्यर का दृष्टिकोण पहली बार मृत्युदंड समाप्त करने पर उनके विचार के माध्यम से प्रकट हुआ. जस्टिस गवई ने एक वकील और एक न्यायाधीश के रूप में अपने कानूनी करियर पर जस्टिस अय्यर के प्रभाव का भी विस्तार से उल्लेख किया.

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AAP,Supreme Court,Legal News,Manish Sisodia,BRS

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