bihar voter list hearing supreme court refused to stay on SIR election commission suggest to accept Aadhaar Voter ID Ration Card ann | सुप्रीम कोर्ट का SIR पर रोक से इनकार, EC को दिया आधार, वोटर आईडी और राशन कार्ड स्वीकारने का सुझाव
बिहार में चल रहे वोटर लिस्ट जांच-सुधार को रोकने से सुप्रीम कोर्ट ने मना कर दिया है. कोर्ट ने कहा है कि वह चुनाव आयोग जैसी संवैधानिक संस्था को उसका काम करने नहीं रोकेगा. हालांकि, कोर्ट ने सुझाव दिया कि आयोग मतदाता की पुष्टि के लिए आधार, मतदाता पहचान पत्र और राशन कार्ड जैसे दस्तावेजों को स्वीकार करने पर भी विचार करे. सुप्रीम कोर्ट में मामले की अगली सुनवाई 28 जुलाई को होगी.
ढाई घंटा चली सुनवाई
जस्टिस सुधांशु धुलिया और जोयमाल्या बागची की बेंच ने लगभग ढाई घंटा तक दोनों पक्षों की जिरह सुनी. याचिकाकर्ता पक्ष की तरफ से गोपाल शंकरनारायण, कपिल सिब्बल, अभिषेक मनु सिंघवी और शादान फरासत जैसे वरिष्ठ वकीलों ने बहस की. वहीं चुनाव आयोग की तरफ से वरिष्ठ वकीलों राकेश द्विवेदी, मनिंदर सिंह और के के वेणुगोपाल ने मोर्चा संभाला.
‘आयोग नागरिकता नहीं जांच सकता’
सुप्रीम कोर्ट में कुल 11 याचिकाएं सुनवाई के लिए लगी थीं. इनमें एनजीओ एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स और पीपल्स यूनियन सिविल लिबर्टीज के अलावा आरजेडी, कांग्रेस, टीएमसी जैसी विपक्षी पार्टियों के नेताओं की भी याचिका थी. याचिकाकर्ता पक्ष ने दलील दी कि चुनाव आयोग नागरिकता की जांच नहीं कर सकता. मतदाता की पुष्टि के लिए सिर्फ 11 दस्तावेज स्वीकार किए जा रहे हैं. आधार कार्ड, वोटर आई कार्ड जैसे दस्तावेज को इस लिस्ट में नहीं रखा गया है. पूरी प्रक्रिया को तेजी से निपटाया जा रहा है. ऐसे में लाखों लोगों के नाम वोटर लिस्ट से बाहर निकलने की आशंका है.
‘सिर्फ अपना संवैधानिक काम कर रहे हैं’
चुनाव आयोग ने कहा कि वह किसी की धारणाओं का जवाब नहीं दे सकता. वह अपना संवैधानिक दायित्व निभा रहा है. यह आशंका गलत है कि उसका उद्देश्य बड़ी संख्या में मतदाताओं को लिस्ट से बाहर करने का है. संविधान का अनुच्छेद 324 चुनाव आयोग को वोटर लिस्ट बनाने और उसमें सुधार का ज़िम्मा देता है. रिप्रेजेंटेशन ऑफ पीपल्स एक्ट,1950 की धारा 21(3) उसे मतदाता लिस्ट में सुधार के लिए विशेष सघन अभियान चलाने की शक्ति देती है. इस प्रक्रिया से जुड़े नियम बनाने का अधिकार भी कानून आयोग को देता है.
पूरे देश में चलेगा ऐसा अभियान
चुनाव आयोग ने यह भी कहा कि वह मोबाइल फोन के ज़रिए मैसेज भेजने के अलावा घर-घर जाकर मतदाताओं से सम्पर्क कर रहा है. जो लोग जनवरी 2025 के ड्राफ्ट वोटर लिस्ट में हैं, उन्हें सिर्फ एक फॉर्म पर हस्ताक्षर करना है. राजनीतिक पार्टियों समेत दूसरे संगठनों की भागीदारी भी पूरी प्रक्रिया में रखी गई है. अगर किसी का नाम 1 अगस्त को जारी होने वाली नई ड्राफ्ट लिस्ट में नहीं आ पाया, तब भी उसे पूरा मौका दिया जाएगा. लोग बाद में भी अपना नाम लिस्ट में जुड़वा सकेंगे. आयोग ने यह भी कहा कि बिहार के बाद दूसरे राज्यों में भी इस तरह का अभियान चलेगा.
कोर्ट का आदेश
सुनवाई के अंत में कोर्ट ने चुनाव आयोग को 3 बिंदुओं पर जवाब दाखिल करने को कहा. यह 3 बिंदु हैं :- वोटर लिस्ट पुनरीक्षण की शक्ति, इसके लिए अपनाई गई प्रक्रिया और इसके लिए चुना गया समय. दरअसल, सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता पक्ष ने विधानसभा चुनाव से पहले ‘स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन’ शुरू करने पर सवाल उठाया था. उन्होंने मांग की थी कि नई लिस्ट को विधानसभा चुनाव में लागू न किया जाए. हालांकि, कोर्ट ने ऐसा आदेश देने से मना कर दिया.
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