Amit Shah today foundation stone Bhoomi Pujan of Tribhuvan Cooperative University in Gujarat | देश को मिली पहली सहकारिता यूनिवर्सिटी, अमित शाह ने किया शिलान्यास, बोले
गुजरात के आनंद में शनिवार (05 जुलाई, 2025) को त्रिभुवन सहकारिता यूनिवर्सिटी का शिलान्यास और भूमिपूजन किया. ये देश की पहली सहकारिता यूनिवर्सिटी होगी. इस यूनिवर्सिटी का भूमिपूजन और शिलान्यास केन्द्रीय सहकारिता मंत्री अमित शाह ने किया है. उन्होंने कहा कि आज का दिन सहकारिता क्षेत्र के लिए बहुत महत्वपूर्ण है.
अमित शाह ने कहा, ‘जब प्रधानमंत्री ने तय किया कि करोड़ों गरीबों की आर्थिक समृद्धि के लिए सहकारिता मंत्रालय स्थापित किया जाए, उसके बाद सहकारिता मंत्रालय बना. मैंने कई सहकारिता से जुड़े लोगों से मुलाकात की. देश के हर कोने तक कैसे सहकारिता आंदोलन पहुंचे, उसके लिए क्या-क्या करना चाहिए, उसकी योजना बनी.’
4 साल में सरकार की तरफ से 60 इनिशिएटिव
उन्होंने आगे कहा कि पिछले 4 साल में सरकार की तरफ से 60 इनिशिएटिव लिए गए हैं. सहकारिता आंदोलन को पारदर्शी, विकसित, लोकप्रिय और किसान की इनकम बढ़ाने, महिलाओं और युवाओं की इनकम बढ़ाने के लिए ये इनिशिएटिव लिए गए हैं.
खत्म होगा भाई भतीजावाद का आरोप
अमित शाह ने कहा कि त्रिभुवन सहकारिता यूनिवर्सिटी सहकारी क्षेत्र की सभी कमियां दूर कर देगा. 40 लाख कर्मी सहकारिता आंदोलन के साथ जुड़े हैं. 80 लाख पैक्स लेकर एपेक्स तक जुड़े हैं. 30 करोड़ लोग सहकारिता आंदोलन से जुड़े हैं. इसकी रीढ़ की हड्डी सहकारिता के कर्मचारी और समितियों के सदस्यों के ट्रेनिंग की कोई व्यवस्था नहीं थी.
शाह ने कहा कि अब यूनिवर्सिटी बनने के बाद जिन्होंने ट्रेनिंग की है, उसी को नौकरी मिलेगी. इसके कारण जो सहकारिता में भाई भतीजावाद का आरोप था, वो खत्म हो जाएगा. जो पढ़ाई करके बाहर निकलेगा, उसी को नौकरी मिलेगी.
500 करोड़ की लागत से बनेगा यूनिवर्सिटी
सहकारिता मंत्री ने कहा कि 2 लाख नए पैक्स बनाने का फैसला प्रधानमंत्री ने लिया था, इस साल तक 60 हजार बना लेंगे. इस सबके लिए मैन पावर यहां से मिलेगी. 500 करोड़ रुपए की लागत से ये यूनिवर्सिटी बन रही है. अनुसंधान को भी यूनिवर्सिटी के साथ जोड़ा गया है. सिर्फ सहकारी कर्मचारी नहीं, यूनिवर्सिटी सहकारी नेता भी यहां से मिलेंगे. सीबीएसई ने पाठ्यक्रम से शुरुआत की है.
क्यों रखा त्रिभुवन नाम?
उन्होंने कहा कि गुजरात सरकार से भी कहूंगा, वो भी अपने पाठ्यक्रम में जोड़े. जब मैं संसद में बिल ला रहा था तो अध्यक्ष जी ने अपने ऑफिस में बुलाया. उन्होंने कहा कि कांग्रेस के कुछ नेता पूछ रहे थे इस यूनिवर्सिटी का नाम त्रिभुवन क्यों रखा. मैं आज बताता हूं, ‘ईश्वर के नाम पर नहीं रखा, इसका नाम त्रिभुवन काशीदास पटेल के नाम पर रखा गया है’.
कांग्रेस पार्टी के नेता थे ‘त्रिभुवन दास’
गृहमंत्री ने आगे कहा कि कांग्रेस के नेताओं को तो ये भी नहीं पता था कि त्रिभुवन दास मेरी पार्टी के नेता नहीं, कांग्रेस पार्टी के नेता थे. 1946 में खेड़ा जिला दुग्ध उत्पादक सहकारी संघ की स्थापना हुई. आज 36 लाख बहनें 80 लाख करोड़ से ज्यादा व्यापार करती हैं. आज खाने-पीने में अमूल ब्रांड सबसे मूल्यवान ब्रांड बनकर उभरा है.
शाह ने कहा कि लोग कहते थे कि कुरियन साहब का बड़ा योगदान है. उनका तो है ही, कोई नकार नहीं सकता. गुजरात में वो संस्कार नहीं, जो किसी के योगदान को नकारे. कुरियन साहब को पढ़ाई करने के लिए भी त्रिभुवन दास जी ने भेजा था. कुरियन साहब को सपोर्ट त्रिभुवन जी ने दिया था.
सहकारिता में विश्व का बड़ा गढ़ बनेगी ये यूनिवर्सिटी
अमित शाह ने आगे कहा कि त्रिभुवन रखने का जो फैसला है, वो उचित फैसला है. सहकारिता में विश्व का सबसे बड़ा गढ़ भारत बनेगा. सहकारिता ग्रामीण अर्थव्यवस्था की मुख्य धारा बन जाएगी. हम कॉपरेटिव टैक्सी और कॉपरेटिव इंश्योरेंस भी लाना चाहते हैं. इस सबके लिए कर्मचारी और सहकारी नेता दोनों चाहिए. हर राज्य में कॉपरेटिव प्रशिक्षण संस्थान बनाने का काम ये यूनिवर्सिटी करेगी. मोदी जी ने आज त्रिभुवन काका को सच्ची श्रद्धांजलि देने का काम किया.
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