Air India Plane Crash: air-india-ai171-crash-investigation-power-failure-not-pilot-error
Air India Plane Crash: एयर इंडिया की फ्लाइट AI-171 12 जून को अहमदाबाद से लंदन गैटविक के लिए रवाना हुई थी. ये उड़ान सामान्य लग रही थी लेकिन टेकऑफ के चंद सेकेंड बाद ही एक ऐसा तकनीकी झटका लगा, जिसने सभी को हैरान कर दिया. अत्याधुनिक माने जाने वाले बोइंग 787 ड्रीमलाइनर विमान ने महज 625 फीट की ऊंचाई तक ही उड़ान भरी और फिर नियंत्रण खो बैठा. विमान एक मेडिकल हॉस्टल इमारत से टकरा गया. अब इस हादसे की जांच से कई बड़े सवाल सामने आ रहे हैं, जो सिर्फ इस दुर्घटना तक सीमित नहीं बल्कि भारत की एविएशन सुरक्षा पर भी सीधा असर डाल सकते हैं.
टेकऑफ के तुरंत बाद कट हो गई पावर सप्लाई
शुरुआती जांच में पता चला है कि उड़ान भरते ही विमान का मेन इंजन फेल हो गई थी. इस वजह से विमान न तो पर्याप्त ऊंचाई ले पाया, न ही पायलट ‘इमरजेंसी टर्न’ या सुरक्षित वापसी की कोई कोशिश कर सके. विमान 625 फीट की ऊंचाई पर जाकर सीधा नीचे गिरा. बोइंग 787 में Ram Air Turbine (RAT) नाम का एक बैकअप सिस्टम होता है, जो ऐसी स्थिति में कुछ अहम सिस्टम को बिजली देता है, लेकिन यह तभी काम करता जब विमान ज्यादा ऊंचाई तक पहुंच पाता.
ब्लैक बॉक्स मिला, पर अभी विश्लेषण बाकी
नागरिक उड्डयन मंत्री राम मोहन नायडू ने पुष्टि की है कि फ्लाइट डेटा रिकॉर्डर (FDR) और कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डर (CVR) बरामद कर लिए गए हैं और वे अब विमान दुर्घटना जांच ब्यूरो (AAIB) के पास सुरक्षित हैं. जांच एजेंसी ने घटनास्थल से सबूत जुटा लिए हैं और अब डेटा के विश्लेषण की प्रक्रिया चल रही है. वहीं यह भी साफ किया गया है कि ब्लैक बॉक्स को विदेश भेजने पर अभी कोई अंतिम फैसला नहीं हुआ है.
पायलट की कोई गलती नहीं, विमान में आई अचानक खराबी
The Indian Express की रिपोर्ट के मुताबिक, प्रारंभिक जांच में यह बात सामने आई है कि पायलट ने स्थिति संभालने की पूरी कोशिश की थी. उन्होंने विमान के मैनुअल कंट्रोल सिस्टम से नियंत्रण पाने की कोशिश की, लेकिन बहुत कम ऊंचाई के कारण उनके पास समय और जगह दोनों नहीं थे. अगर विमान कम से कम 3,600 फीट की ऊंचाई तक पहुंच गया होता, तो RAT सिस्टम सक्रिय हो सकता था और शायद विमान को वापस मोड़ा जा सकता था. लेकिन इतनी ऊंचाई से पहले ही बिजली चली जाने से विमान सीधे गिर गया.
ईंधन में पानी? अब इस एंगल से हो रही जांच
जांचकर्ता अब यह भी देख रहे हैं कि कहीं ईंधन में अशुद्धता खासकर पानी तो नहीं था. ईंधन में पानी रह जाना एक जानी-पहचानी समस्या है, जो उड़ान के दौरान बिजली प्रणाली में फेल या इंजन बंद होने जैसी घटनाओं को जन्म दे सकती है. अगर किसी यांत्रिक या इलेक्ट्रिक गड़बड़ी का कोई सीधा कारण नहीं मिला, तो यही ईंधन मिलावट वाली थ्योरी प्रमुख मानी जाएगी. हादसे से पहले 24 से 48 घंटे की उड़ानों की तकनीकी जानकारी, लॉग बुक और ग्राउंड स्टाफ की रिपोर्ट को खंगाला जा रहा है.
गैटविक जैसी ही कहानी? 2020 का मामला भी बना संदर्भ
जांच अधिकारी इस हादसे की तुलना 2020 में लंदन के गैटविक एयरपोर्ट पर हुई एक घटना से कर रहे हैं. वहां एक एयरबस A321 के दोनों इंजन उड़ान भरने के बाद बंद हो गए थे, लेकिन वह विमान 3,580 फीट की ऊंचाई तक पहुंच चुका था, इसलिए तीन बार Mayday कॉल करके वह वापस लौटने में सफल रहा. उस घटना में भी कारण ईंधन प्रणाली में पानी की अशुद्धता ही पाया गया था.
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