after 50 Year of Emergency Foreign Minister S Jaishankar directly targeted Congress party
50 Year of Emergency: आज से 50 साल पहले तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के शासन काल में देश में ‘इमरजेंसी’ लगाया गया था और उस दौरान जनता ने काफी विरोध किया था और उसे संविधान की हत्या करार दिया गया था. आज उस घटना को 50 साल पूरे हो चुके हैं और आज तक इसे लेकर कांग्रेस सरकार की निंदा की जाती है. आज के दिन को कांग्रेस विरोधियों द्वारा ‘संविधान हत्या दिवस’ मनाया जाता है.
इस मौके पर केंद्रीय विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने दिल्ली भाजपा मुख्यालय में आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन में आपातकाल को लेकर तत्कालीन परिस्थितियों और उसके प्रभावों पर विस्तार से चर्चा की. इस प्रेस वार्ता में दिल्ली भाजपा अध्यक्ष वीरेन्द्र सचदेवा, मीडिया प्रमुख प्रवीण शंकर कपूर, दिल्ली भाजपा युवा मोर्चा अध्यक्ष सागर त्यागी, प्रदेश प्रवक्ता यासिर जिलानी और युवा मोर्चा के मीडिया प्रमुख शुभम मलिक भी उपस्थित रहे.
एक राजनीतिक निर्णय नहीं, बल्कि संविधान की हत्या
डॉ. जयशंकर ने कहा कि 1975 में लगाए गए आपातकाल के दौरान वे खुद एक युवा थे और उन्होंने उस समय की वास्तविकता को नजदीक से देखा. उन्होंने बताया कि किस तरह से लोकतंत्र, मीडिया और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का गला घोंटा गया. एस. जयशंकर ने कहा- ‘यह सिर्फ एक राजनीतिक निर्णय नहीं था, बल्कि संविधान की हत्या थी. मीडिया पर सेंसरशिप, विपक्षी नेताओं की गिरफ्तारी और आम नागरिकों की अभिव्यक्ति पर रोक, ये सब उस दौर की पहचान है.’
विदेश मंत्री ने मॉक पार्लियामेंट कार्यक्रम के बारे में बात करते हुए छात्रों के साथ संवाद के दौरान यह भी बताया कि कैसे इमरजेंसी के फैसले ने भारत की वैश्विक छवि को नुकसान पहुंचाया. उन्होंने कहा कि हमारी विश्वसनीयता को उस समय ठेस पहुंची, जब दुनिया ने देखा कि भारत जैसा लोकतांत्रिक देश भी अपने ही नागरिकों की स्वतंत्रता पर अंकुश लगा सकता है.
कांग्रेस पार्टी को लेकर कही ये बात
डॉ. एस. जयशंकर ने कहा- ‘इमरजेंसी का एक बड़ा कारण सत्ता का केंद्रीकरण और एक परिवार को देश से ऊपर रखना था. आज की स्थिति अलग है. भारत अब स्पष्ट संदेश देता है कि आतंकवाद को किसी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. यह राष्ट्रीय सोच है, जिसमें सरकार और विपक्ष दोनों एकजुट हैं.’ कांग्रेस पार्टी पर सीधा हमला करते हुए उन्होंने कहा कि आज कुछ लोग संविधान की प्रति हाथ में लेकर घूमते हैं, पर दिल से उसका सम्मान नहीं करते. क्या कांग्रेस ने कभी इमरजेंसी के लिए देश से माफी मांगी? यह वही पार्टी है, जिसने लोकतंत्र और संविधान दोनों को कुचला था.
एससीओ बैठक का हवाला देते हुए एस. जयशंकर ने कहा कि किस तरह भारत ने एक सदस्य देश की ओर से आतंकवाद को नजरअंदाज करने की कोशिश पर सख्त आपत्ति दर्ज की. हमने साफ कर दिया कि अगर आतंकवाद पर चर्चा नहीं होती, तो भारत कोई स्टेटमेंट स्वीकार नहीं करेगा.
इमरजेंसी भारतीय लोकतंत्र के इतिहास का एक ‘काला अध्याय’
डॉ. जयशंकर ने कहा कि इमरजेंसी केवल एक बहस का विषय नहीं, बल्कि भारतीय लोकतंत्र के इतिहास का एक ‘काला अध्याय’ है. उन्होंने विपक्ष पर तंज कसते हुए कहा- ‘आज जो लोग पिछले 11 सालों को इमरजेंसी बता रहे हैं, वे भूल जाते हैं कि अगर आज सचमुच इमरजेंसी होती तो न संसद चलती और न सरकार से सवाल पूछने वाले बचते, जैसा कि कांग्रेस शासन में हुआ था.
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