भारत का पिनाका-IV रॉकेट सिस्टम वायु सुरक्षा प्रणाली की बढ़ाएगी क्षमता, थर-थर कांपेगा पाकिस्तान
भारत लगातार अपने सुरक्षा प्रणाली को मजबूत करने में जुटा हुआ है. इसी कड़ी में रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) ने अपने अगली पीढ़ी की गाइडेड रॉकेट सिस्टम पिनाका IV को विकसित कर रही है. डीआरडीओ ने पिनाका IV गाइडेड रॉकेट सिस्टम को 300 किलोमीटर की रेंज तक सटीक हमले को अंजाम देने के लिए डिजाइन किया है.
IDRW (इंडियन डिफेंस रिसर्च विंग) की रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि इस नए, घातक और अगली पीढ़ी के गाइडेड रॉकेट सिस्टम पिनाक IV का ट्रायल साल 2028 में शुरू किया जाएगा. IDRW ने कहा कि पिनाका IV गाइडेड रॉकेट सिस्टम में प्रलय जैसी टैक्टिकल मिसाइलों से प्रेरणा लेते हुए दुश्मन की सभी एयर डिफेंस सिस्टम्स को चकमा देकर हमला करने के सभी आधुनिक फीचर्स होंगे.
कारगिल युद्ध के बाद भारतीय सेना में तैनात हुआ पिनाका रॉकेट सिस्टम
डीआरडीओ की ओर से विकसित पिनाका मल्टी बैरल रॉकेट लॉन्चर (MBRL) सिस्टम को भारतीय सेना में पाकिस्तान के साथ कारगिल युद्ध के बाद तैनात किया था. यह मल्टी बैरल रॉकेट लॉन्चर सिस्टम भारतीन सेना के तोपखाने का आधार रहा है. डीआरडीओ ने इस रॉकेट सिस्टम का नाम भगवान शिव के धनुष पिनाक के नाम पर रखा है.
40 किमी से 300 किमी की मारक क्षमता का हुआ विकास
भारतीय सेना में 40 किलोमीटर की मारक क्षमता के साथ पहली बार पिनाका MkI तैनात हुआ था. इसके बाद इसकी मारक क्षमता को 75 से 90 किलोमीटर तक बढ़ाया गया. आगामी पिनाका MKIII 120 किलोमीटर की मारक क्षमता वाला रॉकेट है. वहीं पिनाका IV, जिसे अब 300 किलोमीटर की मारक क्षमता तक बढ़ाया जा रहा है. यह विकास डीआरडीओ के परिवर्तनकारी कदम को दिखाता है. डीआरडीओ की ओर से विकसित पिनाका IV गाइडेड रॉकेट सिस्टम टैक्टिकल बैलिस्टिक मिसाइलों का एक कॉस्ट-इफेटिव विकल्प है.
इस नए गाइडेड रॉकेट सिस्टम को डीआरडीओ के अर्मामेंट रिसर्च एंड डेवलपमेंट इस्टैबिलिस्मेंट (ARDE) की ओर से विकसित किया जा रहा है. ARDE के अलावा इस रॉकेट सिस्टम के विकसित करने में सोलर इंडस्ट्रीज लिमिटेड जैसे प्राइवेट इंडस्ट्री के साझेदार भी शामिल हैं. डीआरडीओ पिनाका IV को कमांड सेंटर्स, लॉजिस्टिक हब्स और दुश्मन के किलेबंदी समेत हाई वैल्यू टार्गेट पर सटीक निशाना लगाने के लिए विकसित किया जा रहा है.
पिनाका IV की क्या है खासियत?
पिनाका IV में इसके पिछले वेरिएंट के 214 एमएम के कैलिबर के मुकाबले 300 एमएम का इस्तेमाल किया गया है, जो इसे 250 किलोग्राम के वजन का वॉरहेड ले जाने में सक्षम बनाता है. इससे इस रॉकेट सिस्टम के मारक क्षमता काफी ज्यादा बढ़ जाती है. वहीं, DRDO के रिसर्च सेंटर इमारत (RCI) ने इस रॉकेट सिस्टम में एडवांस्ड गाइडेंस, नेविगेशन और कंट्रोल (GNC) सिस्टम को विकसित किया है, जिसे यह 10 मीटर से भी कम के CEP में अपने निशाने पर सटीक हमला करने में सक्षम है.
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