जम्मू-कश्मीर को कब मिलेगा उसका हक? कांग्रेस ने खोला मोर्चा, राज्य बहाली को लेकर किया बड़ा ऐलान
मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह, जम्मू-कश्मीर के प्रभारी महासचिव नसीर हुसैन, पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव और जम्मू-कश्मीर कांग्रेस विधायक दल के नेता गुलाम अहमद मीर ने जम्मू कश्मीर को राज्य का दर्जा बहाल करने की मांग की.
गुलाम अहमद मीर ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जून 2021 में जम्मू-कश्मीर के राजनीतिक प्रतिनिधियों के साथ बैठक की थी, जिसमें उन्होंने परिसीमन के बाद चुनाव और फिर राज्य का दर्जा बहाल करने का वादा किया था. केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा भी दिया था कि चुनाव के बाद राज्य का दर्जा बहाल किया जाएगा.
चुनाव के 10 महीने बाद भी वादा नहीं किया पूरा
उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप के बाद जम्मू-कश्मीर में अक्टूबर 2024 में चुनाव हुए. चुनाव के बाद बनी नई सरकार और विधानसभा ने राज्य का दर्जा बहाल करने का प्रस्ताव भी पारित किया, लेकिन चुनाव के 10 महीने बीत जाने के बाद भी मोदी सरकार ने राज्य का दर्जा बहाल करने का वादा पूरा नहीं किया है.
गुलाम अहमद मीर ने 5 अगस्त 2019 के फैसले की आलोचना करते हुए महाराजा हरि सिंह के समय के जम्मू-कश्मीर के महत्व का उल्लेख किया और कहा कि मोदी सरकार ने इसे तोड़कर तीन हिस्सों में बांट दिया, जिससे इसकी शक्ति और पहचान कमजोर हो गई. उन्होंने कहा कि कांग्रेस तब से ही इसे नाइंसाफी और असंवैधानिक मानती रही है. कांग्रेस ने राज्य का दर्जा बहाल कराने, जमीन, नौकरियों और संसाधनों पर हक वापस पाने के लिए 5 महीने पहले एक आंदोलन शुरू किया था.
भारत जोड़ो यात्रा के बाद जताई थी प्रतिबद्धता
उन्होंने आगे कहा कि राहुल गांधी ने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के साथ श्रीनगर में भारत जोड़ो यात्रा समाप्त करते हुए राज्य का दर्जा बहाल करने की प्रतिबद्धता जताई थी और दोनों नेताओं ने इसके लिए प्रधानमंत्री को पत्र भी लिखा.
उन्होंने श्रीनगर और जम्मू में विरोध प्रदर्शनों के दौरान पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ हुए अमानवीय व्यवहार की भी निंदा की और कहा कि इसके बाद 22 जुलाई को कांग्रेस नेताओं ने जम्मू-कश्मीर से आकर दिल्ली के जंतर-मंतर पर प्रदर्शन किया. जम्मू-कश्मीर का राज्य का दर्जा बहाल करने के लिए कांग्रेस अपने आंदोलन को और तेज करेगी.
कैबिनेट में शामिल नहीं होगी कांग्रेस
वहीं दिग्विजय सिंह ने बताया कि जम्मू-कश्मीर में गठबंधन सरकार है, लेकिन कांग्रेस ने यह निर्णय लिया है कि जब तक राज्य का दर्जा बहाल नहीं होगा, तब तक वह कैबिनेट में शामिल नहीं होगी. उन्होंने मुख्यमंत्री को पुलिस की ओर से रोके जाने का भी उल्लेख किया.
दिग्विजय सिंह ने लद्दाख की स्थिति का भी जिक्र किया और कहा कि वहां 97 प्रतिशत आदिवासी लोग रहते हैं, जिनके लिए संविधान की छठी अनुसूची लागू की जानी चाहिए. साथ ही उन्होंने लद्दाख के लिए दिल्ली और पुडुचेरी जैसे मॉडल की मांग की, जिसमें एक निर्वाचित विधायिका हो.
सरकार के पास कोई ताकत नहीं
वहीं नसीर हुसैन ने कहा कि जम्मू-कश्मीर में चुनाव हो गए, लेकिन सरकार के पास कोई ताकत नहीं है. हर तरह की शक्ति उपराज्यपाल के पास है. कांग्रेस चाहती है कि जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा मिले, जम्मू-कश्मीर के लोगों को उनका हक मिले. पूर्ण राज्य का दर्जा मिलने के बाद जम्मू-कश्मीर में जितने भी घोटाले हुए, उनकी जांच हो.
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