कौन थी वो ‘जासूस रानी’, जिसे मात देकर अजीत डोभाल ने सफल किया था ऑपरेशन, तब जाकर भारत में शामिल हुआ सिक्किम

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राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजीत डोभाल का जीवन हमेशा से जासूसी उपन्यास जैसा रहा है. उनके मिशन की शुरुआत पाकिस्तान या चीन से नहीं, बल्कि हिमालयी राज्य सिक्किम से हुई थी. 1970 के दशक की शुरुआत में सिक्किम राजशाही संकट में था. महारानी ​​होप कुक को दिल्ली में एक जासूस रानी के रूप में देखा जाने लगा, जिनके कथित तौर पर सीआईए से संबंध थे. उस दौरान भारत के अमेरिका के साथ संबंध तनावपूर्ण थे.

भारत को उस समय सिक्किम में अपना प्रभाव खोने का डर था, जो चीन के विरुद्ध एक बफर के रूप में कार्य करता था. तब खुफिया अधिकारी की भूमिका में सिक्किम को भारत में जोड़े रखने का काम अजीत डोभाल को सौंपा गया था. सिक्किम पर 1642 से चोग्याल राजवंश का शासन था. 1947 में भारत की स्वतंत्रता के बाद, यह एक संरक्षित राज्य बन गया, जिसका अर्थ था कि दिल्ली रक्षा और विदेश मामलों को संभालता था, जबकि चोग्याल आंतरिक मामलों को देखते थे. 1965 के बाद यह व्यवस्था बदलने लगी, जब पाल्डेन थोंडुप नामग्याल अपने पिता की मौत के बाद चोग्याल बन गए.

अमेरिकी नागरिकता छोड़ होप कुक ने थोंडुप से की शादी
थोंडुप की दो साल पहले होप कुक से मुलाकात हुई थी, जिन्होंने उनसे शादी करने के लिए अपनी अमेरिकी नागरिकता छोड़ दी. 1960 के मध्य तक वह महारानी बन गईं और सिक्किम के मामलों में उनकी दखलंदाजी होने लगी. होप कुक ने विदेशी पत्रकारों को दिए इंटरव्यू में सिक्किम को भारतीय दबाव का विरोध करने वाले राष्ट्र के रूप में चित्रित किया और अपने पति पर सिक्किम को भारत से अलग करने का दबाव बनाने लगीं. 

लेखक देवदत्त डी ने अपनी किताब में किया है जिक्र
लेखक देवदत्त डी. ने अपनी पुस्तक अजीत डोभाल: ऑन अ मिशन में बताया है कि कैसे दिल्ली के खुफिया अधिकारियों को इन सबके पीछे वॉशिंगटन के प्रभाव होने का शक था. 1971 के बांग्लादेश युद्ध के दौरान उनकी उपस्थिति और भी विवादास्पद हो गई, जब वॉशिंगटन ने खुले तौर पर पाकिस्तान का समर्थन किया. हिमालय में बढ़ते अमेरिकी प्रभाव वाले बफर राज्य एक दुःस्वप्न से कम नहीं था, खासकर जब चीन पहले से ही उत्तर में मंडरा रहा था.

अमेरिकी रानी के प्रति बढ़ने लगी नाराज़गी
इस दौरान अजीत डोभाल ने स्थानीय लोगों के बीच खुद को स्थापित किया और नेताओं से बात करने लगे. डोभाल की रिपोर्टों से पता चला कि सिक्किम के लोग, खासकर बहुसंख्यक नेपाली आबादी की अमेरिकी रानी के प्रति नाराज़गी बढ़ती जा रही थी. वे महल को भारत-विरोधी मानते थे. 1973 तक सिक्किम में विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए. प्रदर्शनकारियों ने राजशाही के खिलाफ मार्च निकाला और लोकतंत्र की मांग की. 

कैसे सिक्किम बना भारत का 22वां राज्य 
बढ़ते दबाव के चलते रानी होप कुक तब सिक्किम छोड़कर न्यूयॉर्क चली गईं और फिर कभी वापस नहीं लौटीं. 2 साल बाद 1975 में सिक्किम विधानसभा ने राजशाही को खत्म करने और भारत में विलय के पक्ष में भारी मतदान किया. जनमत संग्रह में 97 प्रतिशत से ज़्यादा लोगों ने विलय का समर्थन किया. दिल्ली ने तेज़ी से कदम उठाया और सिक्किम भारत का 22वां राज्य बन गया.

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