मुंबई में गेटवे ऑफ इंडिया के पास यात्री जेटी बनाने पर रोक नहीं, सुप्रीम कोर्ट ने बॉम्बे हाई कोर्ट के आदेश में दखल से मना किया
मुंबई के गेटवे ऑफ इंडिया पर नए यात्री जेटी और टर्मिनल का निर्माण जारी रहेगा. सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार (1 सितंबर, 2025) को परियोजना की अनुमति देने वाले बॉम्बे हाई कोर्ट के फैसले में दखल देने से मना कर दिया है. हाई कोर्ट ने 15 जुलाई को महाराष्ट्र मैरीटाइम बोर्ड (MMB) की तरफ से बनाए जा रही यात्री जेटी और टर्मिनल सुविधा के खिलाफ 3 याचिकाओं को खारिज किया था.
चीफ जस्टिस भूषण रामकृष्ण गवई और जस्टिस के विनोद चंद्रन की बेंच ने कहा कि यह नीतिगत विषय है, जो सरकार के अधिकार क्षेत्र में आता है. 229 करोड़ रुपये की लागत वाली इस परियोजना के खिलाफ लॉरा डी. सूजा नाम की याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. समुद्र में लगभग 1.5 एकड़ में फैली यह परियोजना गेटवे ऑफ इंडिया से लगभग 280 मीटर की दूरी पर दक्षिण मुंबई में रेडियो क्लब के पास बन रही है.
समुद्र में खंभों पर किया जा रहा निर्माण, परियोजना से स्थानीय लोगों की होगी असुविधा- याचिका में कहा गया
याचिका में कहा गया था कि परियोजना में 150 कारों की पार्किंग, वीआईपी लाउंज, प्रतीक्षा क्षेत्र, एम्पीथिएटर, टिकट काउंटर और प्रशासनिक क्षेत्र के साथ-साथ टेनिस रैकेट के आकार का एक विशाल जेटी बनाना शामिल है. यह निर्माण समुद्र में खंभों पर किया जा रहा है. इस परियोजना से स्थानीय लोगों को असुविधा होगी क्योंकि यातायात की भीड़भाड़ के मुद्दे पर विचार नहीं किया गया है.
अपनी सुविधा के लिए दाखिल हुई है याचिका, महाराष्ट्र सरकार ने कहा
महाराष्ट्र सरकार की तरफ से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि यह याचिका कुछ लोगों ने अपनी सुविधा के लिए दाखिल की है. इन लोगों की बजाय मुंबई की उस बड़ी आबादी पर ध्यान देना चाहिए जिसे इस परियोजना से फायदा होगा. तुषार मेहता ने कहा, ‘इस जेटी का इस्तेमाल समुद्र के रास्ते नवी मुंबई और मांडवा पहुंचने के लिए किया जा सकेगा. इस तरह यात्रा करने से एक तिहाई कम समय होगा. साथ ही, ट्रैफिक और भीड़भाड़ में भी गिरावट आएगी.’
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