बंगाल में भूखमरी खत्म, अब बच्चे दूध-चावल से नहाते हैं”
Mamata Banerjee: पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने एक बार फिर विपक्ष पर सीधा हमला बोला है। 1959 के खाद्य आंदोलन के शहीदों को श्रद्धांजलि देते हुए उन्होंने दावा किया कि उनके मुख्यमंत्री रहते हुए बंगाल से भूखमरी पूरी तरह खत्म हो चुकी है। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर लिखा कि आज का बंगाल पहले जैसा नहीं है और अब राज्य के बच्चे दूध और चावल में नहा सकते हैं। यह बयान राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय बन गया है। ममता ने इस दौरान CPI(M) और BJP दोनों को कठघरे में खड़ा करते हुए कहा कि पहले की सरकारें गरीबों को भूखा रखती थीं। उनके मुताबिक, पिछली सरकारों के शासनकाल में भूख से मौतें आम बात थीं और आज वही दल नैतिकता का पाठ पढ़ाते हैं।

भूखमरी खत्म होने का दावा और अमलासोल घटना का जिक्र
अपने बयान में ममता बनर्जी ने 2004 की अमलासोल घटना का भी उल्लेख किया। उस समय पश्चिम मेदिनीपुर के बेलफारी ब्लॉक के अमलासोल गांव में कथित तौर पर पांच आदिवासियों की भूख से मौत हो गई थी। ममता ने कहा कि वाम सरकारों के समय लोगों को “भोजन का अधिकार” नहीं मिला और गरीबी-भूख से कई निर्दोष लोग मारे गए। उन्होंने लिखा, “भोजन का अधिकार मानवता का शाश्वत अधिकार है और मुझे दुख होता है कि हमारे विरोधियों ने इस अधिकार की कभी इज्जत नहीं की।” ममता ने अपने शासनकाल में शुरू की गई राशन योजनाओं का हवाला देते हुए कहा कि उनकी सरकार ने सुनिश्चित किया है कि हर गरीब तक अनाज और आवश्यक सुविधाएं पहुंचें।
BJP पर केंद्र का पैसा रोकने का आरोप
ममता बनर्जी ने अपने पोस्ट में भाजपा पर भी तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार बंगाल के हिस्से का पैसा रोककर जनता को परेशान कर रही है। उनके शब्दों में, “BJP भाषा के साथ-साथ भूख से भी मारती है। वे सारा पैसा दिल्ली में रोककर रखना चाहते हैं और बंगाल के लोगों को भूखा रखकर खत्म करना चाहते हैं।” ममता ने यह भी दावा किया कि भाजपा गरीब विरोधी नीतियां लागू कर रही है और बंगाल की जनता को उनके हक से वंचित करने की कोशिश कर रही है। उन्होंने कहा कि तृणमूल कांग्रेस हमेशा गरीबों के साथ खड़ी है और मुफ्त राशन जैसी योजनाओं से भूखमरी की समस्या को खत्म करने में कामयाब रही है।

CPI(M) का पलटवार और पुराने सवाल
ममता बनर्जी के इस दावे पर CPI(M) नेता सुजन चक्रवर्ती ने पलटवार किया। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री झूठ बोलने की आदी हैं और इतिहास को तोड़-मरोड़कर पेश करती हैं। उनके अनुसार, खाद्य आंदोलन सिर्फ बंगाल तक सीमित नहीं था बल्कि पूरे देश में महंगाई और अकाल के खिलाफ चला था। उन्होंने कहा, “वाम दलों ने कभी लोगों को भूखा नहीं मरने दिया। 1950 के दशक में कोलकाता में जब खाद्य संकट के खिलाफ प्रदर्शन हुआ था तो पुलिस गोलीबारी में 80 लोगों की मौत हुई थी, लेकिन वामपंथियों ने हमेशा जनता का साथ दिया।” CPI(M) नेता ने यह भी सवाल उठाया कि अगर राज्य में सच में भूखमरी खत्म हो गई है तो ममता सरकार को ‘दुआरे राशन योजना’ क्यों लागू करनी पड़ी। उनके मुताबिक, यह योजना इस बात का प्रमाण है कि सार्वजनिक वितरण प्रणाली राज्य में पूरी तरह विफल रही है।

राजनीति और भूखमरी का जुड़ाव
ममता बनर्जी का यह बयान केवल एक दावा नहीं, बल्कि राजनीतिक रणनीति भी माना जा रहा है। विधानसभा चुनाव से पहले उन्होंने विपक्ष पर निशाना साधते हुए खुद को गरीबों और किसानों का रक्षक बताया। हालांकि, विपक्ष लगातार इस बात पर जोर दे रहा है कि ममता सरकार की योजनाएं दिखावटी हैं और वास्तविकता में गरीबों तक लाभ पूरी तरह नहीं पहुंच पाता। भूखमरी खत्म होने का दावा कितना सही है, यह तो आंकड़े और जमीनी सच्चाई ही बताएगी। लेकिन इतना तय है कि “भोजन का अधिकार” और “गरीबी का सवाल” अब फिर से पश्चिम बंगाल की राजनीति में बड़ा मुद्दा बन चुका है। ममता जहां अपने कार्यकाल को ऐतिहासिक बताने में जुटी हैं, वहीं विपक्ष इसे चुनावी प्रचार से जोड़कर देख रहा है।

ये भी पढ़े: Mamta Banerjee:मुर्शिदाबाद हिंसा पर बोलीं ममता,कहा कांग्रेस की जीती सीट वाले क्षेत्र में हुई हिंसा
Source link
Bengal food crisis,Bengal hunger issue,Bengal politics news,BJP Mamata clash,CPI(M) vs TMC,indian politics news,Mamata Banerjee claim,Mamata Banerjee news,Mamata statement,West Bengal development,West Bengal politics