सुप्रीम कोर्ट ने तेलंगाना के स्पीकर से बागी विधायकों पर 3 महीने में फैसला लेने को कहा, संसद से आग्रह किया- ‘अयोग्यता से जुड़ी व्यवस्था पर विचार कर बदलाव करें’
सुप्रीम कोर्ट ने तेलंगाना विधानसभा के अध्यक्ष को भारत राष्ट्र समिति (BRS) के 10 विधायकों की अयोग्यता पर 3 महीने में फैसला लेने को कहा है. बीआरएस के टिकट पर चुनाव जीतने वाले यह विधायक पाला बदल कर सत्ताधारी कांग्रेस में शामिल हो गए थे. स्पीकर ने उन्हें अयोग्य करार देने के आवेदन को काफी समय से लंबित रखा हुआ है.
सुप्रीम कोर्ट ने विधानसभा अध्यक्षों की तरफ से ऐसे मामलों में की जाने वाली देरी पर गंभीर चिंता जताई है. कोर्ट ने इसे लोकतंत्र को कमजोर करने वाली बात कहा. चीफ जस्टिस भूषण रामकृष्ण गवई और जस्टिस ऑगस्टिन जॉर्ज मसीह ने संसद से आग्रह किया कि वह विधायकों की अयोग्यता तय करने के लिए दलबदल कानून में दी गई व्यवस्था पर विचार कर उचित बदलाव करें.
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में नोट किया है कि विधानसभा अध्यक्ष ने लगभग 7 महीने तक अयोग्यता याचिकाओं पर कोई नोटिस जारी नहीं किया था. वह तभी सक्रिय हुए जब मामला सुप्रीम कोर्ट में आ गया. कोर्ट ने कहा कि इसे स्वीकार नहीं किया जा सकता. जब स्पीकर अयोग्यता पर विचार कर रहे हों, तब वह ‘ट्रिब्यूनल’ का काम कर रहे होते हैं. उनका काम कोर्ट की समीक्षा के दायरे में आएगा.
कोर्ट ने कहा है कि ‘ऑपरेशन सफल लेकिन मरीज मृत’ जैसी स्थिति नहीं बनने दी जानी चाहिए. विधानसभा अध्यक्ष से कहा है कि वह अपना फैसला 3 महीने के भीतर लें. वह किसी भी विधायक को कार्यवाही को लंबा खींचने की अनुमति नहीं दें. अगर कोई विधायक कार्यवाही को लंबा खींचने की कोशिश करे, तो अध्यक्ष उसके विरुद्ध निष्कर्ष दर्ज करें.
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